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The Childhood Exploits of Kṛṣṇa
( 16 ) उअ सरअ - णिसाए रमतो सम वाल गोवीहिं राहाइ कन्हा करे पुजि 'अ' धुलि - पुज । ललिअ-उहअ-हत्थेण पच्छाइऊणच्छि-वत्ताइ णीओ सअ जाव स केअ - केली -पएस ॥ विहलिअ-कर- रोहो पलोएइ जा ता पुरा पुष्णिमा - चंद बांदी नवे दीवरच्छी किस गी विहसिअ सविलासं पुणो नीअ सेा गाढमालिंगिओ बाअरं चु बिओ णिब्भरं रामिओ अ ॥ (स्वयम्भूच्छन्दस्, १ - ७५ . १ )
( 17 ) मेधै दुरमम्बर वनभुवः श्यामास्तमालद्रुमैर् नक्त ं मीरुरथ त्वमेव तदिम राधे गृह प्रापय । इत्थ ं नन्दनिदेशतश्वलितयोः प्रत्यग्रकुञ्जद्रुम राधामाधवयोजयन्ति यमुनातीरे रहः केलयः ॥
( 18 ) राहाए तार- हारे थणे पडिबिंबिअ
कण्ह बालाइ दठु बलो-त्ति पलज्जिअ । गाउ रिट्ठारिणा विपिआ इअ मुद्धिआ गाढ घेत्तूण कठे उण उवहि ॥
( 19 ) मुह - मारुएण त कण्ह गोरअ' राहिआए अवणे तो । एआण वल्लवीण अण्णाण वि गोरअ हरसि ॥
(20) कुसल राहे सुहिओ सि कस कसो कहिं कहिं राहा । इ बा (पा ?) लियाइ भणिए त्रिलक्ख हसिर हरिं नमह ।
( स्वयम्भूच्छन्दस्, १ - १२. १)
( 21 ) कण्हा जयइ जुवाणो राहा उम्मत्त - जोव्वणा जयइ । जउणा बहुल-तरंगा ते दियहा तेत्तिय च्चेव ॥
( 22 ) के सि - वियारण - रुहिरुल्लन्कुप्परुग्धसण-लं छणग्धविय ं । न मुएइ कण्ह जुण्णं पि कंचुय अज्ज-वि विसाहा ॥
( 23 ) राइाइ कवोल - तलुच्छल त- जोन्हा - णिवाय धवलौंगो । रइ रहस - वावडाए धवलो आलिंगिओ कण्हो ॥
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( गीतगोविन्द, १ )
( गाहा कास, १ - ८९ )
( बज्जा लग्ग, ५९० )
( वज्जालग्ग, ५८२)
( वज्जालग्ग, ५९५)
( वज्जालग्ग, ५९५ )