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( 7 ) तस्सेय पुणो पणमह णिहुय हलिणा हसिज्जमाणस्स । अपहृत - देहली-लौं घणद्ध-वह-सटिय
चल ॥
( 8 ) से जयउ जस्स पत्तो कठे रिहासुरस्स घण- कसणो । उपाय-पवढिय-काल-वास- करणी भुय-प्फलिहो ||
( 9 ) हरिणो जमलज्जुण - रिट्ठ-केसि क सासुरिंद-सेलाण । भ'जण-वळण-वियारण-कड्ढण-धरणे भुए णमह ॥
( 10 ) कक्कस - भुय - काप्पर-पुरियाणणो कढिण-कर- कयावेसेो । केसि-किसे।र-कयत्थणे-कउज्जमो जथइ महुमहणो ||
Prakrit and Apabhramśa Studies
( 11 ) णत्थेपिणु महुमहणेण, कालिउ णहयले भामियउ । भीसावणुकांसहो णाइ काल-दंडु उग्गामियउ ॥
( 12 ) एहु विसमर सुछु आएसु पाणतिर माणुस कवि मारे धुउ
( 13 ) सब्ब - गोविउ जइ - वि जोएइ हरि सु-वि आअरेण का सक्कड़ सवरेवि
( 14 ) देइ पाली थह पन्भारे ताप
लिणि-दलु
फल cot पाविय
( 15 ) हरि नच्चाविउ पं गणइ एम्बर्हि राह - ओहरह
दिट्ठी-विसु सप्पु कालिअउ । कहि गम्मउ काइ किज्जउ ॥
देश दिठी जहिं ssc अण हे
( लीलावई, ३)
(लीला जई,
हरि - विभाअ - सतावें तत्ती । करउ दइअ ज किंपि रुच्च ॥
विम्ह
डिउ लोउ ।
जं भावइ त है|उ ॥
(लीलवई,
8)
६)
( रिट्ठणेमि चरिय, ६-३-९)
( लीलावई ७ )
( स्वयम्भूच्छन्दसू, ४-१०.९)
कहिं वि राही । पलेट्टा ॥
( स्वयम्भूच्छन्दस्, ४-१०-२)
(स्वयम्भूच्छन्दस्, ४--)
( सिद्धम, ८ -४ - ४२०.२)