________________ 60 ] सुदशन-चरित / करेगा-तुझे उत्तम गति प्राप्त होगी। इस प्रकार सेठने उसकी प्रशंसा कर बड़े प्रेमसे उसे भोजन कराया और अच्छे अच्छे वस्त्राभूषण उपहार दिये। सच है धर्मका जब इस लोकमें भी महान् फल मिलता है-धर्मात्मा पुरुष लोगों द्वारा आदर-सत्कार, पूजाप्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं तत्र परलोकमें वे धर्मके फलसे धन-दौलत, राज्य-वैभव, स्वर्ग-मोक्ष आदिका सुख प्राप्त करें तो इसमें आश्चर्य क्या। ___ एक दिन वह ग्वाल भैंसें चरानेको जंगलमें गया था / किसी मनुष्यने आकर उससे कहा-भाई, तेरी भैंसें तो गंगाके उस पार चली गई। यह सुनकर वह उन्हें लौटानेको दौड़ा और उस महामंत्रका स्मरण कर झटसे नदीमें कूद पड़ा / जहाँ वह कूदा वहाँ एक तीखा लकड़ा गड़ा हुआ था / सो उसके कोई ऐसा पापका उदय आया कि उसप्ते उसका पेट फट गया। मरते हुए उसने निदान किया-इस महामंत्रके फलसे मैं इन सेठके यहीं पुत्र-जन्म लूँ ! वह मरकर फिर उस निदानके फलसे तू अत्यन्त सुन्दर कामदेव हुआ। सुदर्शन, यह कामदेवपना, यह अलौकिक धीरता, यह दिव्य रूप-सुन्दरता, यह मान-मर्यादा, यह अनन्त यश, ये उत्तम उत्तम गुण, और यह एकसे एक बढ़कर सुख आदि जितनी बातें तुझे प्राप्त हैं वे सब एक इसी महामंत्रका फल है। सुदर्शन, इस अर्हन्त भगवान्के नामम्मरणरूप महामंत्रके प्रभावसे अर्हन्तोंकी श्रेष्ठ विभूति प्राप्त होती है, और शुद्ध सम्यग्दर्शनकी प्राप्तिका लाभ होकर जगत्पूज्य मुक्ति प्राप्त होती है / तीन लोककी लक्ष्मी इस मंत्रका ध्यान करनेवाले