________________ चन्द्रप्रभ-चरित। महाकवि-श्रीवीरनन्दि आचार्यकृत / इसमें आठवें तीर्थकर श्रीचन्द्रप्रभ भगवान्का पवित्र और मनोहर चरित लिखा गया है / संस्कृत साहित्यमें 'चन्द्रप्रभ-चरित' उच्च कोटिका काव्य है / इसमें प्रसंगानुसार शृंगार, वैराग्य, वीर, करुणा-आदि सभी रसोंका बड़ी खूबीके साथ वर्णन किया गया है। बड़ी ही मनोरंजनकी सामग्री है। अबतक यह केवल संस्कृत भाषामें ही था; पर एक महाकविके बनाये श्रेष्ठ काव्यकी सुन्दर और मनोमोहक वर्णन शैलीका रसपान हिन्दीके पाठक भी कर सकें, इसलिए हमने एक अच्छे विद्वान् द्वारा इसका हिन्दी अनुवाद कराकर प्रकाशित किया है। यह विद्यार्थियोंके लिए भी बड़े कामकी वस्तु बन गई है। इसके द्वारा वे मूलग्रन्थके भावोंको बड़ी सरलतासे समझ सकेंगे। अनुवाद बड़ा सुन्दर और सरल हुआ है। कीमत सादी जिल्दका 1) रु० और कपड़ेकी पक्की जिल्दका 1 / ) रु० / भक्तामर-कथा-( मंत्रयंत्र सहित ) इसमें पहले भक्तामरके मूल श्लोक, फिर हिन्दी पद्यानुवाद, बाद मूलका खुलासा भावार्थ, फिर भक्तामरके मंत्रोंको सिद्ध करनेवालोंकी 33 सुन्दर कथायें, इसके बाद अन्तमें मंत्र, ऋद्धि और उनकी साधनविधि तथा अड़तालीस ही श्लोकोंके अड़तालीस यंत्र, इस प्रकार योजना करके सर्व साधारणके लाभार्थ यह ग्रन्थ छपाया गया है। थोड़ीसी प्रतियाँ रही हैं। मूल्य सवा रु०। सम्यकत्व-कौमुदी-यह जैन-कथा-साहित्यका सुन्दर ग्रन्थ है। इसमें सम्यक्त्त्व प्राप्त करनेवालोंकी आठ मनोहर और धार्मिक