________________ - सुदर्शनका निर्वाण-गमन / [109 कर्मोका नाशकर मोक्ष गये, अनेक गुणोंसे युक्त वे सुदर्शन योगिराज मुझे-जिसमें कर्मोका नाश वह मौत, दुःख-रहित मोक्ष, दर्शन-ज्ञानचारित्रकी विशुद्धता करनेवाले अपने गुण और मोक्ष जानेको अपनी शक्ति, ये सब बातें दें। मेरे (सकलकीर्तिके ) द्वारा रचा गया यह पवित्र और कल्याणका करनेवाला सुदर्शन महामुनिका चरित्र इस पृथ्वीतलमें विद्वानों द्वारा वृद्धिको प्राप्त हो-इसका खूब प्रचार हो। सत्र संसार जिनकी स्तुति करता है वे भुक्ति-मुक्तिको देनेवाले तीर्थकर, सत्पुरुषोंको सब सिद्धिके देनेवाले और उत्कृष्ट अनन्त सिद्ध परमेष्ठी, पञ्चाचार पालनमें तत्पर आचार्यगण, ज्ञानके समुद्र उपाध्याय और पाप नाश करनेवाले साधुजन ये सब मंगल करें-सुख दें। जो विचारशील शिव-सिद्धिके अर्थ इस निर्दोष चरित्रको पढ़ेंगे या दूसरोंको सुनावेंगे और जो इसे विधिपूर्वक सुनेंगे वे पुण्यसे अनन्तसुख प्राप्त करेंगे। ___ इस सुदर्शन चरित्रके श्लोकोंकी संख्या सब मिलाकर जोड़नेसे नौसौ (900) है।