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________________ ८० 1 ऊसस - णीसस - रहियं गुरुणो सेसं वसे हवइ दव्वं । तेणाणुण्णा भुंजइ अण्णह दोसो भवे तस्स ।। 3 एयाओं भावणाओ कुणमाणो तत्यिं वयं धरई । एत्तो वोच्छामि अहं मेहुण - विरइति णामेण ।। (३४४) काम- महागह-गहिओ अंधो बहिरो व्व अच्छए मूओ । उम्मत्तो मुच्छियओ व्व होइ वक्खित्त - चित्तो य ।। 7 विब्भम-कडच्छ-हसिरो अणिव्वुओ अणिहुओ य उभंतो । गलियंकुसो व्व मत्तो होइ मयंधो गयवरो व्व ।। 5 9 अलियं पि हसइ लोए सवियारं अप्पयं पलोएइ । उग्गाइ हरिसिय-मणो खणेण दीणत्तणं जाइ ।। विहसिज्जइ लोएणं एसो सो निंदिओ जणवएणं । कज्जाकज्जं ण-यणइ मोहेण य उत्तणो भमइ ।। परदार-गमण-दोसे बंधण-वहणं च लिंग-छेदं च । सव्वस्स-हरणमादी बहुए दोसे य पावे ।। मरिऊण य पर-लोए वच्चइ संसार - सागरे घोरे । तम्हा परिहर दूरं इत्थीणं संगम साहू || अह कोइ भणइ मूढो धम्मो सुरएण होइ लोगम्मि । इत्थीणं सुहइ-हेऊ पुरिसाण य जेण तं भणियं ।। आहारं पिव जुज्जइ रिसिणो दाउं च गेण्हिउं चेय । जं जं सुहस्स हेऊ तं तं धम्मप्फलं होइ ।। एपमा गणेज्जसुदुक्खं तं दुक्ख कारणं पढमं । तं काऊण अउण्णा उवेंति कुगई गई जीवा ।। 11 13 15 17 19 (३४४) 21 2) P तेणाणुसोयं for तेणाणुण्णा, P हवइ for भवे. 3) J तत्तियं वतं P तइययं वयं. 5 ) J होईP होति. 7) J विम्हम, P कडक्ख, P अणिच्छओ, J अणिहिओ. 9) P लोएइ for सवियारं अप्पयं पलोएइ. 11 ) P निंदओ. 13 ) P छेयं. 14) J हरणमाती, P सो for दोसे, J पावेति. 15) P पलोए वच्चइ संसायरे. 16 ) P परिहरइ. 17) P सुरते कहं न for सुरएण होइ, J लोअंमि. 19 ) Padds, after जुज्जइ, पुरिसा एएणं मारिओ अहं पुव्वं । तेण मए मारिज्जइ तस्सेय जो देइ ।। अवरे विहियंति. 20) J हेउं तं. 21) P कुगई गई.
SR No.022709
Book TitleKuvalaymala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages246
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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