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________________ ७६ 1 इय एवमाइ-अण्णाण-वाइणो जं भांति समएसुं । तं सव्वं अलियं चिय जीव - वहे होंति दोसाई ।। 3 जीवो अणाइ - णिहणो सच्चं देहंतरम्मि संकमइ । देहाओ से ण सुहं विउज्जए होइ दुक्खं से ।। ऊसास-इंदियाइं अब्भितर - बाहिरा इमे पाणा । ताणं विओय-करणं पमत्त - जोएण सा हिंसा ।। अह तेहिँ विउज्जंतस्स तस्स जीवस्स दुस्सहं दुक्खं । जं उप्पज्जइ देहे अह पावो तस्स सो भणिओ ॥ 5 7 9 तिल - तेल्लाण परोप्परमणुगय- सरिसस्स जीव- देहस्स । दुक्खं ताण विओओ कीरइ जो कुण सो पावो ।। ति । 11 एवं च साहिए सुरासुर - गुरुणा पुच्छियं भगवया गोयम-सामिणा ‘भगवं, इमं पुण पाणाइवाय-वेरमणं महावय - रयणं केरिसेण पुरिसेण रक्खिउं तीरइ' त्ति । 13 भगवया भणियं । इरिया-मण-समिईओ एसण - पडिलेह तह य आलोयं । पढमस्स वयस्स इमा समिईओ पंच विण्णेया ॥ जुगमेत्त-दिण्ण-दिट्ठी जंतू-परिहरण - दिण्ण - णयण - मणो । आवासयम्मि वच्चइ इरिया-समिओ हु सो पुरिसो ।। तव-णियम - सील-रुक्खे भज्जंतं उप्पहेण वच्वंतं । 19 णाणंकुसेण रुंभइ मण-हत्थिं होइ मण-समिओ ।। असणं पाणं वत्थं व पत्तयं संजमम्मि जं जोगं । 21 एसंतो सुत्तेणं मग्गइ जो एसणा-समिओ ।। सेज्जा - संथारं वा अण्णं वा किंचि दव्व-उ -जायं 15 (३४१) 17 तु । 1) J एवमाति अण्णाणवातिणो, P अन्नाणवाणो भांति. 2) P होइ for होंति. 3) J संभमइ for संकमइ. 4) P सो ण य अहं J सो ण सुहं for से ण सुहं (emended.) 5) P इंदियाइं भवति अब्भिंतरा इमे. 6) J भवे for इमे, P ताओ for ताणं, J अमत्तजोएण. 7 ) Pom. तस्स. 9) P तिल्लतेल्लाण, J सरिसं जिअस्स देहस्स. 10) P जं for जो. 11) P पुच्छिउं, J गोतम, P गोयमगणहारिणा. 12) J पाणातिवातविरमण महावयणरयणं, P पाणातिपात, P महावइरयणं, J om. पुरिसेण. 14) JP समितीओ, P अलोया ।. 15) Pom. वयस्स, JP समितीओ. 17) J आवस्सयंमि, J समितो. 18 ) P रुक्खो . 19) P रंभइ मणहत्थी, J मणसमितो. 21 ) J समितो. 22) P किं पि for किंचि, JP दव्वजातं.
SR No.022709
Book TitleKuvalaymala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages246
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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