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________________ (३४२) 1 गेण्हइ जइ वा मुंचइ पडिलेहेउं पमज्जेउं ।। गहियं पि जं पि भत्तं पाणं वा भोयणस्स कालम्मि । 3 आलोइऊण भुंजइ गुरुणो वा तं णिवेएइ ।। एयाहिँ पंच-समिईहिँ समियओ जो भवे कह वि साधू | सो सुहुम-जंतु - रक्खं कुणमाणो संजओ भणिओ ।। पाणाइवाय- विरमणमह पढमं इह महव्वयं भणियं । 7 संपइ भण्णइ एयं मुस - वयण - णियत्तणं बिइयं ।। 5 (३४२) असवाय-कवलियं मि उ अलियं वयणं ति होइ मुवाओ । 9 तव्विरमणं णियत्ती होइ मुसावाय - विरइति ।। अलियं जो भणइ णरो निंदिय - अहमो इहं दुसद्धेओ । 11 अह चप्फलो त्ति एसो हीलिज्जइ सव्व - लोएण ।। दुक्खेहिँ ठवेइ जिए अब्भक्खाणेहिँ अलिय-वयणेहिं । 13 ताणं पिसो ण चुक्कइ पुव्वं अह बंध-वेराण ।। मारण-लुंपण-दुक्खे पावइ जीहाऍ छेयणं लोए । 15 मरिऊण पुणो वच्चइ णरए अह दुक्ख - पउरम्मि ।। जं मज्झ इमं दुक्खं अलियब्भक्खाण - पडिवयस्स भवे । 17 तह एयस्स वि तम्हा कुणह णियत्तिं तु अलियस्स ।। एवं परूविए तिहुयण-गुरुणा पुच्छियं गोयम - गणहारिणा 'भगवं, केरिसं पुण 19 अलिय - वयणं होई' त्ति | भगवया भणियं । सब्भाव-पडीसेहो अत्थंतर - भासणं तहा णिंदा । 21 ७७ एयं ति-भेय-भिण्णं अलियं वयणं मुणेयव्वं ॥ सब्भाव-पडीसेहो आया णत्थि त्ति णत्थि पर - लोओ । 1) P मुच्चइ, J पडिलेहेतु वमज्जेतुं . 4) J एताहिं पंचसमितीहिं समितओ, P समिइओ जइ भवे, P साहू. 5) J संजतो भणितो. 6) J पाणातिवात, Pom. भण्णइ. 7) P एवं, JP वितियं. 8) J मासवाकुअलिअम्मि तु अलियं, P असइवाय. 9) J मुसवातो, मुसावातविरति P विरए त्ति. 10) Padds हि before इहं. 11) P अह तिफलो. 12) P ठवेवि. 13) P वंक for बंध. 14) P लंछण for लुंपण. 16) P जह for जं, P अलियउभक्खाणगडिगयस्स. 17) P निवत्ति 18 ) J adds च after एवं, P पुच्छिओ, J गोतम, P inter. पुण & केरिसं. 20) P पडिस्सेहो, P भावणं. 1. 22 ) P पडिस्सेहो .
SR No.022709
Book TitleKuvalaymala Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages246
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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