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________________ ७३ (२११) 1 अत्थि पयडा पुरीणं तेलोक्कम्मि वि पयत्त-जसहारा । धवलुत्तुंग-मणहरा उज्जयणी पुरवरी रम्मा ।। 3 जीय य मणहर-गीय-रव-रम्मई भवणई, भवण-माला-विभावियइं रायवहई, रायवह-सोहिओ विवणि-मग्गु, विवणि-मग्ग-रेहिरई गोउरद्दारई, गोउरद्दार5 विराइयइं पागार-सिहरई, पागार-सिहर-छज्जिरइं फरिहा-बंधई ति । जत्थ य रेहति फरिहउ णिम्मल-जल-तरंगेहिं, जल-तरंगई पि सोहंति वियसिय-सुरहि7 कुसुमेहि, कमलइँ वि अग्घंति भमिर-भमरउलेहिं, भमर-उलइँ वि विरायंति णव-कुसुम-रेणु-रएणं ति । अवि य । 9 उत्तुंग-धवल-तोरण-बद्ध-पडाय-च्छलेण भणइ व्व ।। उब्भेउँ अंगुलिं सा जइ अण्णा एरिसा णयरि ।। त्ति । 11 तम्मि य पुरवरीए सिरिवच्छो णाम राया पुरंदर-सम-सत्त-वीरिय-विहवो । तस्स य पुत्तो सिरिवद्धणो णाम । धूया य एक्का सिरिमई णाम । सा य विजय-पुरवइणो 13 विजय-णराहिवस्स पुत्तो सीहो णाम तेण परिणीया । सो य सीहो जोव्वणं __ संपत्तो । केरिसो जाओ । अवि य ।। 15 मारेइ खाइ लुंपइ णिरवेक्खो णिद्दओ णिरासंसो । वण-सीहो इव कुविओ पयईए एरिसो जाओ ।। 17 तं च तारिसं णाऊण राइणा विजएण णिव्विसओ आणत्तो । सो य तं राय___धूयं णियय-भारियं घेत्तूण णिग्गओ विसयाओ । एक्कम्मि पच्चंत-गामे 19 आवासिओ, अप्प-दुइओ अच्छिउं पयत्तो । वच्चंति दियहा । ताव य एत्थंतरम्मि केण वि कालंतरेण सो सिरिवद्धणो रायउत्तो धम्मरुइणो अणगारस्स 21 अंतिए धम्म सोऊण दुरुत्तरं संसार-सागरं णाऊण दुल्लहं भगवओ वयणं जाणिऊण सासयं मोक्ख-सुहं कलेऊण सव्वहा णिव्विण्ण-काम-भोओ 1) P तिलोक्कमि, P जस्स पब्भारा for जसहारा. 3) J जिअ for जीय, J रम्माई भवणाई, P विरवियई रायनिवहइं. 4) Jom. विवणिमग्गु, P विपणिमगु विपणि, P om. गोउरद्दारई, P गोउरदारा. 5) J विराविअइं पायार, J पायार, P छजिरवं परिहा, P कत्थ for जत्थ. 6) P फरिहाउ, J मि for पि. 7) J कमलेहिं for कुसुमेहिं, P कमल विय अग्घंति, P भमरभलेहिं भमर कुलई विरायंति. 8) P रेणुएणं. 9) P पडायाछलेण. 10) JP उब्भेउ. 11) P समू for सम. 12) P om. य. 13) P adds सा after तेण. 17) P om. विजएण. 19) P om. य after ताव. 20) P राउत्तो. 22) P कामभोगो.
SR No.022708
Book TitleKuvalaymala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages240
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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