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________________ (७५) 1 ण य जाणंति वराया दुक्खमसाहारणं णिरए ।। पिय-पुत्त-भाइ-भइणी-माया-भज्जाण जा-कए कुणइ । 3 ते वि तडे च्चिय ण्हाया भुजइ एक्कल्लओ दुक्ख ।।। गुरु-वेयण-दुक्खत्तो पुरओ च्चिय सयल-बंधु-वग्गस्स । 5 मरिऊण जाइ णरयं गरुएणं पाव-कम्मेणं ।। (७५) केरिसा ते पुण णरया । अवि य । 7 णक्खत्त-सूर-रहिया घोरा घोरंधयार-दुप्पेच्छा । अइउण्हा अइसीया सत्तसु पुढवीसु बहु-रूवा ।। 9 कहिंचि मेअ-मज्ज-वस-प्फेप्फसाउला । कहिंचि रत्त-पित्त-पूर-पसरंत णिण्णया । कहिंचि मास-खेल-पूय-पूरिया । कहिंचि वज-तुंड-पक्खि11 संकुला । कहिंचि कुंभीपाय-पच्चंत-जंतुया । कहिंचि संचरंत-वायसाउला । कहिंचि घोर-सीह-सुणय-संकुला । कहिंचि चलमाण-चंचु-कंक-भीसणा । 13 कहिंचि णिवडत-सत्थवाह-संकुला । कहिंचि कड्ढमाण-तंब-तउय-ताविया । __ कहिंचि पच्चमाण-पाणि-दुग्गंध-गंध-गब्भिणा । कहिंचि करवत्त-जंत15 फालिज्जमाण-जंतुया । कहिंचि णिवडंत-घोर-कसिण-पत्थरा । कहिंचि ___णरयवालायड्डिय-छुब्भमाण-जलण-जालालुक्खिय-दुक्ख-सद्द-सय-संकुल17 त्ति । अवि य । ___जं जं जयम्मि दुक्खं दुक्ख-ट्ठाणं च किंचि पुरिसाणं । 19 तं तं भणंति णरयं जं णरयं तत्थ किं भणिमो ।।। अह तम्मि भणिय-पुव्वे पत्ता सत्ता खणेण दुक्खत्ता । 21 पइसंति णिक्खुडेसु संकड-कुडिलेसु दुक्खेण ।। __जह किर भवणे भित्तीय होइ घडियालयं मडह-दारं । 1) P नरए. 2) P जं for जा. 5) P गुरुएणं पुव्व. 6) P उण ते for ते पुण. 8) P उय सीया for अइसीया. 9) P वसापुप्फसा०. 10) J मंस (?) खेल. 11) P कुंभ for कुंभी. 12) P कहिं वि बलमाणचंचुक्कंक. 13) J विणिवडत P निवडंत, J तउमय. 14) J पडि for पाणि, P दुहंध, P om. गंध. 16) J णरयवालो यंथियछुब्भमाण, P छत्तमाण for छुब्भमाण, P सय for सद्द. 21) P निक्कडेसु संकल. 22) P मडहवारं नयरंमि तह च्चिय निकुडाइं वीरेहिं.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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