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________________ (१७५) २३७ 1 परंत-रयण-कोट्टिम-णाणा-मणि-किरण-बद्ध-सुरचावा । तीर-तरुग्गय-मंजरि-कुसुम-रउद्भूय-दिसिचक्का ।। 3 मणि-सोमाण-विणिम्मिय-कंचण-पडिहार-धरिय-सिरिसोहा । कलधोय-तुंग-तोरण-धवलुद्भुत-धयवडाइल्ला ।। 5 पवण-वस-चलिय-किंकिणि-माला-जाला-रणत-सुइ-सुहया । बहु-णिज्जूहय-णिग्गम-दार-विरायंत-परिवेढा ।। 7 कंचण-कमल-विहूसिय-सिय-रयण-मुणाल-धवल-सच्छाया । फलिह-मउज्जल-कुमुया णिक्ख-विणिम्मविय-सुरहि-कल्हारा ।। 9 णीलमणि-सुरभि-कुवलय-विसट्ट-मयरंद-बिंदु-चित्तलिया । वर-पोमराय-सयवत्त-पत्त-विक्खित्त-सोहिल्ला ।। 11 वर-इंदणील-णिम्मल-णलिणी-वण-संड-मंडिउद्देसा । विच्छित्ति-रइय-पत्तल-हरिया बहु-पत्त-भंगिल्ला ।। 13 सुर-लोय-पवण-चालिय-सुरदुम-कुसुमोवयार-सोहिल्ला । अच्छच्छ-धवल-णिम्मल-जल-भर-रंगत-तामरसा । 15 इय कमल-मुही रम्मा वियसिय-कंदोट्ट-दीहरच्छि-जुया । मणि-कंचण-घडियंगी दिट्ठा वावी सुर-वहु व्व ।। 17 तं च पेच्छिऊण दिण्णा झंपा वावी-जलम्मि । तस्साणुमग्गओ ओइण्णो सुर कामिणी-सत्थो । किं च काउमाढत्तो । अवि य । 19 तुंग-थणवट्ट-पेल्लण-हल्लिर-जल-वीइ-हरिय-णिय-सिचओ । कलुसेइ णिम्मल-जलं लज्जतो अंग-राएण ।। 21 वित्थय-णियंब-मंथण-धवलग्गय-विप्फुरंत-फेणोहं । अह मह इमं ति सिचयं विलुलिज्जइ जुवइ-सत्थेण ।। 2) रयद्भूय, J दिसिअक्का. 3) P सोपाण. 4) P किलहोय, P धवलुहुद्धंत. 5) P जालमाला for मालाजाला. 7) P विगासिय, Jom. धवल. 8) P फलिहविलुज्जकुमुयानिक्कवि०, P om. सुरहि, P कल्लारा. 9) P सुरहि. 10) P adds मरगयस before सयवत्त, P om. पत्त. 12) P विच्छित्त, P पत्तलपत्तलयावत्तपत्त. 14) J अच्चत्थधवल, J जलहर. 15) P हरिसा for रम्मा. 17) P तस्सालुमग्गो. 19) P घणवद्धपल्लण, P वीइतियसचिंचइओ. 21) P विप्फरंतफेणारं. 22) P विलुलिज्जति.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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