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________________ (११९) १५२ 1 धमधमेंत-जलणया कडकडेंत - साहिया चिरिचिरेंत - चीरिया दिट्ठा रणुद्देसया । अवि य । 3 बहु- वुत्तंत - पयत्तिय-भव-सय- -संबाह-भीम-दुत्तरं । संसाराडइ-सरिसं भमंति अडई अभविय व्व ।। 5 (११९) तओ एवं च परिभमंताण तम्मि समए को कालो वट्टिउं पयत्तो । अवि य । 7 वित्थिण्ण-भुवण-कोट्ठय-मज्झ-गयं तविय-पव्वयंगारं । उय धम्मइ पवणेणं रवि-बिंबं लोह - पिंडं व ।। सयल-जण-कम्म-सक्खी भुवणब्भंतर - पयत्त-वावारो । गिम्हम्मि रवी जीए कुविय - कयंतो व्व तावेइ ।। 11 एयारिसे य गिम्ह- समए वट्टमाणे का उण वेला वट्टिउं पयत्ता । अवरोवहि-वेला-वारि-णियर - तणु - सिसिर - सीयरासत्ता । - गिरिवर - सिहरं रवि-रह- तुरया वलति ।। सिसिर-णरिंदम्मि गए दूसह - घण- सिसिर - बंधण- विमुको । 15 तावेइ अवर - णिकरे संपइ सूरो णरवइ व्व ।। बालो दंसण-सुहवो परिवğतो तवेइ कह सूरो । णहयल-1 17 सव्वो च्चिय णूण वणे जोव्वण - समयम्मि दुप्पेच्छो || तओ एयम्मि एरिसे समए वट्टमाणे ते दुवे वि जणा दूसह - ह-रवि-किरणपरद्धा 19 अहो - गिम्ह-तत्त-वालुया - डज्झमाणा दूसह - तण्हा-भर-सूसमाण- तालुय-तला दीहद्धाण-खेय-परितत्ता छुहा - भर - क्खाम - णिण्णोयरा मूढ-दिसिवहा पणट्ठ21 पंथा पुलिंद-भय-वेविरा सिंघ-वग्घ-संभंता मयतण्हाजल-तरंग - वेलविज्जमाणा जं किंचि णिण्णयं दट्टूण जलं ति धावमाणा सव्वहा अणेय - - दुक्ख-सय- संकुले 9 13 1) P कडयडंत, P रण्णुद्देसिया. 2) Jom. अवि य. 3) P बहु for बहु. 7) P विच्छिन्नभवण. 8) J पिण्डव्व. 9) J सयलजल P सयजण्ण. 10) P जीवे for जीए. 11) Pom. य, P गिण्हसमए का उण. 12 ) P अवरोअहि. 15) P तावेई य धरणिधरो संपइ, P नरिंदो for णरवइ . 16) P दंसणसुहओ, P परियट्टंतो. 19) P सूसमाणा, J तालुअयला, P तालुयतलो. 20) J खाम for क्खाम, P णिक्खोयरा. 21 ) P सिंह for सिंघ. 22 ) Pom. सय.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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