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________________ १२२ (९५) 1 करंका-हत्थो गंगा-दुवार-हेमंत-ललिय-भद्देस्सर-वीरभद्द-सोमेसर-पहास पुक्खराइसु तित्थेसु पिंडयं पक्खालयतो परिभमसु, जेण ते पावं सुज्झइ त्ति । 3 तं पुण ण-यणंते च्चिय जेण महा-पाव-पसर-पडिबद्धो । मुच्चइ एस फुडं चिय अप्पा अप्पेण कालेण ।। 5 जइ अप्पा पाव-मणो बाहिंजल-धोवणेण किं तस्स । जं कुंभारी सूया लोहारी किं घयं पियउ ।। 7 सुज्झउ णाम मलं चिय णरणाह जलेण जं सरीरम्मि । जं पुण पावं कम्मं तं भण कह सुज्झए तेण ।। 9 किंतु पवित्तं सय-सेवियं इमं मण-विसुद्धि-करयं च । एत्तिय-मेत्तेण कओ तत्थ भरो धोय-वत्तीए ।। 11 जंतं तित्थम्मि जलं तं ता भण केरिसं सहावेण । किं पाव-फेडण-परो तस्स सहावो अह ण व त्ति ।। 13 जइ पाव-फेडण-परो होज्ज सहावेण तो दुवे पक्खा । किं अंग-संगमेणं अहवा परिचिंतियं हरइ ।। 15 जइ अग-संगमेण ता एए मयर-मच्छ-चक्काई । केवट्टिय-मच्छंधा पढमं सगं गया णंता ।। 17 अहव परिचिंतियं चिय कीस इमो दूर-दक्खिणो लोओ । आगच्छइ जेण ण चिंतिऊण सगं समारुहइ ।। 19 अह पावणो त्ति ण इमो विसिट्ठ-बुद्धीएँ होज परिगहिओ । तत्थ वि विसिट्ठ-बुद्धी-परिगहियं होज्ज कूव-जलं ।। 21 अह भणसि होज्ज तं पि ह तित्थे गमणं णिरत्थयं होज । अह तं ण होज तित्थं पुण होहिइ एत्थ को हेऊ ।। 1) P हत्थे, P ललियाभद्देसरवीरभद्दा, Jom. सोमेसर, P पभासपुष्करा. 2) P पिंडं for पिंडयं, P एयं for ते, P सुज्झय त्ति. 3) P नयणंत च्चिय, P पडिबद्धो. 4) J मुंचइ. 5) P बाहिरमलधोअणेण. 6) P जइ for जं, P पियइ ।. 7) P जलेण तं सरीरं ति. 8) P जेण for तेण. 9) P om. here the verse किंतु पवित्त etc. but gives it below, included in the foot-notes. 12) J यरो for परो, P पहावो for सहावो. 13) J सहावो तओ दुवे. 15) P तो for ता, P चक्काया । 16) J केवट्टिया, JP मच्छद्धा. 19) P वामणो for पावणो, P बुद्धीय होज. 20) J होऊण for होज्ज, J तत्थ विसिट्ठा बुद्धी, J होउ for होज्ज (sometime उ and ज्ज look similar). 21) P गंगा for तित्थे, J णिरत्थओ. 22) P गंग for तित्थं.
SR No.022707
Book TitleKuvalaymala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2011
Total Pages244
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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