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सहित सुअर पास में आया । सुअर गोद में रहा और सिंह अन्यत्र चला गया । जागृत होकर पति को कहा । जयराजा ने कहा तुझे गुण में सुअर जैसा पुत्र होगा । और किसी अन्य स्त्री को सिंह के समान पुत्र होगा । दोनों में प्रीति होगी । रानी पुत्र होने के हर्ष के साथ गुणहीन होने के कारण खेद को प्राप्त हुई ।
इधर ज्योतिष्क देवलोक से वसुसार का जीव विमला की कुक्षी में आया । विमला में पुत्र के प्रभाव से हिंसा, क्रूरता, द्रोह, अविनय, निष्ठुरता आदि दोष उत्पन्न होने लगे । समय पर पुत्र प्रसव हुआ । जयराजा ने स्वप्न में माता ने सिंह के दर्शन किये थे, और पुत्र में सिंह समान गुण उत्पन्न हों, इस दृष्टि से पुत्र का नाम सिंहसार दिया । कमला ने भी एक बार स्वप्न में सिंह और सुअर को
पास आया देखा और सिंह गोद में रहा और सुअर कहीं चला गया । पति को कहने पर विजय ने कहा तेरे सिंह के समान पुत्र होगा और किसीको सुअर के समान पुत्र होगा या हो गया होगा । स्वप्न फल सुनकर कमला अत्यन्त हर्षित हुई ।
इधर शुक्र देवलोक से मतिसागर का जीव उसकी कुक्षी में आया । गर्भ के कारण धर्म एवं शौर्य के अनुकूल दोहद उत्पन्न हुए। युवराज ने सब पूर्ण किये । इधर शंखपुर के मानवीर राजा को जीतने के लिए जयराजा को विनयपूर्वक कहकर विजय युवराज गया । वहाँ युद्ध में उसे हराकर और बांधकर विजय मानवीर को जयराजा के सामने लाया । उसी समय एक दासी ने कमला की कुक्षि से पुत्र जन्म के समाचार दिये। जय-विजय दोनों भाई अत्यंत प्रमुदित हुए । इधर दूसरी दासी आयी और उसने कहा नाल दाटते समय स्वर्ण कलश मिला है। राजा ने वह कलश मंगवाया । अपने पिता के नामांकित रत्न से परिपूर्ण कलश देखकर अत्यन्त आनंदित होकर पूरे राज्य में
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