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कुवलयमाला-कथा
कन्या राशि में उत्पन्न होने वाला मनुष्य बुढापे में धर्मात्मा, लोक में मान्य, धनवान् और स्त्रियों को आनन्द देने वाला होता है ।
तुला राशि में उत्पन्न होने वाला मनुष्य ईर्ष्यालु ( डाह करने वाला), मित्रों से प्रेम करने वाला, दुख का पात्र, साफ-साफ कहने वाला और वैरागी होता है।
वृश्चिक राशि में उत्पन्न होने वाला मनुष्य क्रूर, शूरवीर, पीली-पीली आँखों वाला, घमण्डी, कठोर हृदय का धनी और माता-पिता से सदैव वियोगी होता है।
धनु राशि में उत्पन्न होने वाला मनुष्य बुद्धिमान्, सत्यवादी, लोगों के मन को हरने वाला, सुन्दर स्त्री वाला और उत्तम कान्ति वाला होता है
मकर राशि में उत्पन्न होने वाला मनुष्य खूबसूरत, बुद्धिमान्, विद्वान्, पुत्रवान्, दीर्घजीवी, परस्त्री में आसक्त और दानी होता है।
11. कुम्भ राशि में उत्पन्न होने वाला मनुष्य चञ्चल आँखों वाला, हाथी या घोड़ा वगैरह का प्रेमी, अभिमानी, चतुर, पराक्रमी और आलसी होता है । 12. मीन राशि में उत्पन्न होने वाला मनुष्य शूरवीर, समुद्र की तरह गम्भीर, स्पष्टवक्ता, क्रोधी, युद्ध का प्रेमी और अभिमानी होता है।
इस प्रकार राशियों का फल सुनकर राजा ने ज्योतिषियों को एक हजार रुपये की दक्षिणा दी और सभा से उठ गये, सभा विसर्जित हुई। बारहवाँ दिन आया । राजा ने नौकर-चाकरों को वस्त्र आदि देकर उचित सत्कार किया । स्वप्न
में
कुवलयमाला से युक्त चन्द्रमा दिखाई दिया था, अतः पुत्र का नाम कुवलयचन्द्र रक्खा गया। दूसरा नाम श्रीदत्त भी रक्खा गया । कुमार पाँच धायों से पालितपोषित होकर इस प्रकार बढने लगा जैसे पाँच समितियों से मुनिधर्म या कलाओं से प्रतिपदा का चन्द्रमा बढ़ता है। कुमार ज्यों-ज्यों बढ़ता जाता, पिता के मंसूबे भी उसी प्रकार बढ़ते चले जाते । कुमार कभी एक के हाथ में जाता कभी दूसरे के । इसलिए वह ऐसा मालूम पड़ता जैसे अनेक दिशाओं में घूमता-फिरता सूर्य हो। इस प्रकार प्रजापति द्वारा उत्पन्न हुए और सब लोगों के द्वारा सतृष्ण नेत्रों से पान करते हुए चन्द्रमा की भाँति कुमार आठ वर्ष का हुआ। फिर
प्रथम प्रस्ताव