SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [144] कुवलयमाला-कथा वह बालिका कौन है?' उसके उत्तर में मैंने तुम्हें बतलाया कि वह बालिका मेरे पूर्व जन्म की बहिन है। उसने इस जन्म में कभी मनुष्य को देखा ही नहीं है। इसलिए वह तुम्हें देख कर भाग गई थी।" केवली भगवान् के मुख से इस प्रकार वृत्तान्त सुनकर विद्याधरों ने निवेदन किया- भगवन्! वह बालिका भव्य है या अभव्य? केवली- वह भव्य है? विद्याधर- उसे सम्यक्त्व की प्राप्ति किस प्रकार होगी? केवली- इसी भव में उसे सम्यक्त्व की प्राप्ति होगी। विद्याधर- उसका धर्मगुरु कौन होगा? । भगवान् ने मेरी ओर इशारा करके कहा- यह राजकीर उसका गुरु होगा। भगवान् का इस प्रकार कथन सुनकर मदनमञ्जरी ने यह विचार कर कि पितामह का कथन कभी असत्य नहीं हो सकता, इस बालिका को प्रतिबोध करने के लिए मुझे यहाँ भेजा है। मैं आकाश में उड़ कर यहाँ आया। वन में इधर-उधर घूमते-घूमते मैंने इसे देखा। मैंने इसे कितने ही दिनों तक भक्ष्य अभक्ष्य में, कार्य और अकार्य में, जिनेश्वर प्रणीत धर्म में तथा दूसरे समस्त मनुष्यों के व्यवहार में चतुर बनाया तथा केवली भगवान् द्वारा बतलाया हुआ इसका पूर्व जन्म भी इसे कह सुनाया। मैंने इससे कहा"तू पद्मराजा की पुत्री है। तेरे वैरी देव ने तुझे यहाँ लाकर छोड़ दिया है। तू वन में नहीं उत्पन्न हुई। इसलिए अब तू इस वन को त्याग कर मेरे साथ मनुष्यों की वस्ती में चल। वहाँ संसार के भोगों को भोगो और परलोक के कार्य का भी साधन करो।" इसने मुझसे कहा-"यह वन ही मेरी रक्षा करने वाला है। मैं मनुष्यों के रहन-सहन से अनजान हूँ। पाँचों इन्द्रियों के विषय रूपी घोड़े विषम और चपल हैं। संसार में दुर्जन बहुत होते हैं। अतः मेरे मन की समाधि (शान्ति) इसी वन में अच्छी रहेगी, दूसरी जगह मनुष्यों के व्यवहार में पड़ने से नहीं" मुझसे ऐसा कह कर यह बालिका इसी वन में रहकर जमीन पर गिरे हुए प्रासुक पुष्प, कन्द, फल, मूल और पत्ते आदि खाकर दुष्कर तपस्या करती हुई बहुत वर्षों से रहती है। कुमार! तुमने इस तृतीय प्रस्ताव
SR No.022701
Book TitleKuvalaymala Katha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar, Narayan Shastri
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2013
Total Pages234
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy