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*२३ आर्यकुल-जाति
A कुल आर्यउगाकुल-भोगखत्ति अ, कुलेसु इक्खागनायकोवे । हरिवंसे अ विसाले, आयंति तहिं पुरिससीहा।
('आवश्यक-भाष्य' गा० ५०) B जातिआर्य
अबट्ठा व कलंदा, विदेहा विदकाति य ॥ हारिया तुतुणा चेव, एता इन्भजातिओ ॥
('बृहत्कल्पसूत्र' ३०१ नि० ३२६४) C कुल आर्य (उत्तमकुल )उग्गा भोगा राइल खत्तिया तह य णात कोरल्वा । इक्खागा प्रिय छठा, आरिया होइ नायव्वा ।।
('वृहत्कल्पसूत्र' ३०१ नि ३२६५) D विविध कुलो- बहवे उग्गा भोंगा राइना इक्खागा णाया कोरव्या खत्तिया खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता,
(भगवतीसूत्र' श० ९ उ० ३३ सू० ३८३) E माहणा भडा जोहा मई लेच्छई अन्ने य बहवे०॥
('उववाइसूत्र')