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दूसरा भाग ।
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पर रख गया । पुत्रहरणसे विदेहको बहुत कष्ट हुआ | जनकने दशरथकी सहायतासे बालकको बहुत ढूंढाया परन्तु नहीं मिला । जनक बहुत छोटे राजा थे । सम्भव है कि वे केवल मिथिला नगरीके ही राजा हों। क्योंकि उन्हें छोटी २ बातों में महाराज दशरथकी सहायता लेनी पड़ती थी ।
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(४) पुत्रीका नाम सीता रक्खा गया । उसे देव द्वारा छोड़े हुए बालकको रथनूपुरका राजा चंद्रगति नामक विद्याधर ले गया और उसे पुत्र समान रक्खा । नगर में यह घोषणा की कि रानीको गुप्त गर्भ था, उससे पुत्र उत्पन्न हुआ है । और बहुत
उत्सव मनाया ।
(५) सीता परम सुंदरी थी । जब सीता युवा अवस्थामें आई तब जनकने रामचन्द्र के साथ इसका विवाह करना चाहा । क्योंकि महाराज जनक रामचंद्र के गुणोंपर उस समय से बहुत मोहित हो गये थे जब अर्द्ध बर्बरदेशके म्लेच्छोंने आर्यावर्त पर आक्रमण किया था । म्लेच्छ बढ़ते २ जब जनककी राज्य सीमापर आये तब जनक और उनके भ्राता कनकने युद्ध किया और महाराज दशरथ से भी सहायता मांगी । दशरथने अपने पुत्र राम, लक्ष्मणको सेना सहित भेजा । जिस समय जनक और कनक म्लेच्छों से युद्ध करते २ म्लेच्छोंके प्रबल आक्रमणके कारण पीछे हट रहे थे, उसी समय उन्हें रामकी सहायता मिली । रामचंद्रने घनघोर युद्ध किया और उन म्लेच्छोंका नाश किया । उनके भाग समय म्लेच्छ सेनामें केवल दश सवार ही शेष रह गये थे । म्लेच्छ महा दुष्ट थे, मांस भक्षी और बड़े अत्याचारी थे, उनका