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प्राचीन जैन इतिहास। ८७ घटनाएँ हुई।
(७) फिर कैकयीसे भरत और सुप्रमासे शत्रुघ्न उत्पन्न
८) जब ये चारों पुत्र बड़े हुए तब इन्हें पढ़नेके लिये गुरूको सौंपा । इनका-बाणविद्याका गुरु आरिनामक एक ब्राह्मण था।
पाठ २७. सीताके पूर्वज, सीताका जन्म और
रामलक्ष्मणादिका विवाह । (१) भगवान् मुनिसुव्रतनाथके पुत्र रानासुव्रतने बहुत समय तक राज्य किया। फिर अपने पुत्र दत्तको राज्य दे कर दीक्षा ली और मोक्ष गये ।
(२) दत्तका पुत्र एलावर्धन, एलावर्धनका श्रीवर्धन, श्रीवर्धनके श्रीवृक्ष, श्रीवृक्षके सञ्जयन्त, सञ्जयन्तके कुणिमा, कुणिमाके महारथ, महारथके पुलोमई आदि अनेक राजाओंके पश्चात् महाराज वासबकेतु हुए । ये मिथिला नगरीके राजा थे । इनकी राणीका नाम विपुला था । इनसे महाराजा जनक उत्पन्न हुए ।
(३) महारान जनकको राणीका नाम विदेहा था। इनसे पूत्र और पुत्रीका एक साथ जन्म हुआ । परन्तु पुत्रको उसके पूर्व जन्मका वेरी एक देव आकर ले गया । पहिले तो वह द्वेषसे मारनेके अभिप्रायसे ले गया था परन्तु पीछे इस कार्य को बुरा समझ अपने पाससे आभूषण पहिनाकर नवनात बालकको पृथ्वी