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________________ दुसरा भाग। और व्याकरणमें निपुण थी। ये दोनों राजा भी स्वयंवरमें एक ओर जाकर खड़े हो गये । कैकयीने लक्षणोंसे दशरथको किसी बड़े कुलका और प्रतापी समझ उनके गलेमें वरमाला डाली। इस पर अन्य कई उपस्थित राजकुमार बड़े अप्रसन्न हुए। और युद्ध करनेको तैयार हुए। इनमें हेमप्रभ मुख्य था । दशरथने युद्ध किया । कैकयीने उनके रथके सारथीपनेका कार्य किया। कैकयीने इस चतुरतासे सारथीका कार्य किया कि एक मात्र दशरथने हज़ारों योद्धाओंको जीता । कैकयीके इस कार्यसे प्रसन्न हो दशरथने उसे वर मांगनेके लिये कहा । कैकयीने कहा कि आव. श्यकता पड़नेपर इस वरका उपयोग करूंगी। दशरथने स्वीकार किया। (५) रावणद्वारा आई हुई विपत्ति दूर होजानेपर दशरथ राज्यमें आ गये । यहाँ रामचन्दका जन्म कौशल्याके गर्भसे हुआ। गर्भके समय कौशल्याको चार स्वप्न आये । पहिले स्वप्नमें ऐरावत हाथी देखा । दूसरे स्वप्नमें केशरीसिंह, तीसरे और चौथेमें क्रमशः सूर्य और पूर्ण चन्द्र देखे । इन स्वप्नोंके फलके लिये रानी पतिके पास गई । पतिने कहा कि इन स्वप्नोंपरसे विदित होता है कि तुम्हारी कुक्षिसे मोक्षगामी, परमबलवान् पुत्र उत्पन्न होगा । समचन्द्रके जन्म समय बहुत बड़ा उत्सव मनाया गया । ... (६) सुमित्राके गर्भसे लक्ष्मण उत्पन्न हुए । इनके गर्भ में आते समय सुमित्राने भी उत्कृष्ट स्वप्न देखे थे। जिस दिन दशरथके घर लक्ष्मणका जन्म हुआ उसी दिन रावणके घर अशुभ
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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