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दूसरा भाग ।
जाते देख
करने लगी ।
विमान नीचे
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सब वृत्तान्त
(११) दूसरे दिन आकाशमार्गसे एक विमान इन्हें फिर भय हुआ | अञ्जना भयके कारण रुदन एक अबलाकी आक्रन्दन ध्वनि सुन विमानवालोंने उतारा । और उस गुफामें आकर बड़ी नम्रता से पृछा । वे हनुरुद्ध द्वीप के स्वामी राजा प्रतिसूर्य थे जो कि अञ्जनाके मामा थे । जब उन्होंने अपना वृत्तान्त प्रगट किया तब अञ्जनाको परम हर्ष हुआ । अञ्जनाका दुखमय वृत्तान्त सुन प्रतिसूर्य ने उन्हें अपने घरपर चलने के लिये कहा । अञ्जना और उसकी सखी दोनों प्रतिसूर्यके विमानपर आरूढ़ हो चलीं ।
पुत्रको
खिला रही थी कि
(१२) मार्गमें अञ्जना अपने उसके हस्तसे बालक छूट पड़ा और नीचे जमीनपर आ गिरा । सब विलाप करने लगे । अञ्जना विकल हो गई। फिर विमान नीचे उतारा गया । और बालकको देखा तो एक पर्वत पर बालक पड़ा हुआ हँस रहा है । बालकके आघातसे पर्वतके खण्ड २ हो गये थे । क्योंकि यह चरमशरीरी था और कामदेव था । बालक
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का यह प्रताप देख सब प्रसन्न हुए और इसे भावी सिद्ध समझ कर प्रतिसूर्यने सह-कुटुम्ब तीन प्रदक्षिणा दे नमस्कार किया । वहांसे बालकको उठा विमानके द्वारा हनुरूह द्वीप पहुंचे। वहां बहुत उत्सव किया गया । और पर्वत पर गिरने तथा पर्वत खण्ड करनेके कारण बालकका नाम श्रीशैल रक्खा | और हनुरूह क्षेत्र में आनेके कारण दूसरा नाम हनुमान भी रखखा । इस प्रकार हनुमानका जन्म हुआ ।