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दूसरा भाग।
पाठ २१. इस समयके एक न्यायी राजाका उदाहरण । ___मलयदेशमें रत्नपुर नगरके स्वामी महाराना प्रजापति थे । इनके पुत्र का नाम चन्द्रचूल था। चंद्रचूलका प्रेम मंत्रोके पुत्र विजयसे बहुत था । लाड़ प्यारके कारण इन दोनोंको उचित शिक्षा न मिल सकी। अतएव ये दोनों दुराचारी हो गये । एक दिन इस नगरके कुवेर नामक एक प्रसिद्ध सेठने कुबेरदत्ता नाम: की अपनी लड़कीका विवाह उसी नगरके वेश्रवण सेठके पुत्र श्रीदत्तके साथ करने का विचार किया। किसी पापी रान कर्मचारीने यह बात राजकुमारसे कही और कुबेरदत्ताके रूपकी प्रशंसा की। राजकुमार उस कन्याको अपने आधीन करने पर उतारू हुआ। यह देख वैश्योंका समुदाय महाराजा प्रनापतिके पास पहुंचा। अपने दुराचारी पुत्रसे वह पहिले ही अप्रसन्न था इसलिये इस समाचारसे वह और भी अधिक क्रोधित हुआ और कोतवालको आज्ञा दो कि दोनों युवकों को प्राण दण्ड दिया जाय । कोतवाल इस आज्ञाको पालन करने के लिये तैयार हुआ। परंतु मंत्रोने नगर वासियों सहित महाराजासे इस आज्ञाको लौटाने की प्रार्थना की । क्योंकि महाराजाका उत्तराधिकारी वह एक ही पुत्र था । महारानाने मंत्रीकी प्रार्थना यह कह कर अस्वीकृत कर दी कि तुम मुझे न्यायमार्गसे च्युत करना चाहते हो। फिर मंत्रीने दंड देनेका भार अपने शिर पर लिया । और अपने पुत्र तथा राजकुमारको साथ लेकर वनगिरि नामक पर्वत पर गया : वहां राजकुमारसे कहा कि आपका काल समीप है क्या आप मरने को तैयार हैं ? राज