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प्राचीन जैन इतिहास |
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भीख क्यों माँगता है | इससे मालूम होता है कि लक्षण शास्त्र सत्य नहीं है । तब दूसरे निमित्त ज्ञानीने कहा कि नहीं, पहिले तो यह राजा ही था परन्तु सगरके मंत्रीके जालके कारण इसे यह पद धारण करना पड़ा है । निमित्त ज्ञानियोंकी बातचीत से मधुपिंगलको क्रोध उत्पन्न हुआ । और निश्चय किया कि मैं भविष्य में इस तपके प्रभाव से सगर का नाश कर सकूं ऐसी शक्तिका धारक बनूं । ( ग ) मरकर मधुपिंगल तपके प्रभाव से असुरकुमार जातिके चौंसठ हजार महिषासुरोंका अधिपति महाकाल नामक महिषासुर हुआ । और अवधिज्ञान से पूर्वभवके सगर राजाके वैरको जानकर बदला लेनेको उद्यत हुआ ।
(घ) वह वृद्ध ब्राह्मणका रूप धारण कर व कई असुरोंको शिष्यके रूपमें साथ लेकर पृथ्वी तलपर आया और वनमें फिरते हुए क्षीरकदंब के पुत्र पर्वत से मिला । क्षीरकदंब धवल प्रदेशके स्वस्तिकावतीनगरीका राजपुरोहित था । इसके पुत्र का नाम पर्वत था । पर्वतकी बुद्धि मंद थी और अर्थको विपरीत रूपसे ग्रहण करती थी । पर्वत क्षीरकदंब
के पास पढ़ा था । इसके साथ साथ स्वस्तिकावतीका राजपुत्र और एक विदेशी ब्राह्मण कुमार नारद भी क्षीरकदवसे पढ़ा था । ये तीनों सहाध्यायी भी थे । नारद विद्वान् और धर्मात्मा था। एक दिन क्षीरकदंब अपने तीनों शिष्योंके साथ वनमें गया था वहाँ श्रुतघर नामक
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