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प्राचीन जैन इतिहास। ३५ समाधिगुप्त नामक जिनेन्द्रसे दीक्षा ली और अन्तमें कर्मो का नाशकर मोक्ष प्राप्त किया। इनकी आयु तीस हजार वर्षकी थी।
( नोट ) पद्मपुराणकारने इनका नाम महापद्म लिखा है । और पिताका नाम पद्मरथ और माताका मयुरी लिखा है । और कहा है कि इनकी पुत्रियोंको विद्याधर हरके ले गये फिर उन्हे चक्रवर्तिने छुड़ाया। इन पुत्रियोंने दीक्षा ली। इन पुत्रियों को बड़ा गर्व था । ये विवाह करना नहीं चाहती थीं। चक्रवर्तिने पद्म नामक पुत्रको राज्य देकर विष्णु नामक पुत्र सहित दीक्षा ली थी।
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पाठ १७ प्रतिनारायण-बलिन्द्र-बलदेव, नंदमित्र
नारायण-दत्त (सातवें प्रतिनारायण बलदेव और नारायण ) — (१) ये तीनों श्री भगवान् मल्लिनाथके ही तीर्थकालमें हुए हैं । बलदेव नंदमित्र और नारायण-दत्त बनारसके इश्वाकु वंशी राना अग्निशेखरके पुत्र थे। नंदमित्रकी माताका नाम अपराजिता था और दत्तकी माताका नाम केशवती था।
(२) प्रति नारायण-बलिन्द्र विजयाई पर्वतके मंदरपुरका स्वामी था । इसने तीन खण्ड पृथ्वीको अपने वश किया था । इसकी आठ हजार रानियां थीं।
. (३) नारायण-दत्तकी आयु तेवीस हजार वर्षकी थी और शरीर बावीस धनुष ऊंचा था। इसका वर्ण नीला था। और बलदेवका पन्द्रो सन.न था।