________________
दूसरा भाग।
(११). आपके एक मास शेष रहने तक आपने समस्त आर्यखंडमें विहार किया और उपदेश दिया। जब एक मास भायु रह गई तब आप सम्मेदशिखर पर पधारे। इस समय दिव्य ध्वनिका होना बंद हो गया था । इस एक मासमें बाकीके चार कर्मोका नाश कर फाल्गुन सुदी पंचमीको भगवान् मल्लनाथ मोक्ष पधारे । इन्द्रादि देवोंने भगवानका निर्वाण कल्याणक उत्सव मनाया।
पाठ १६ चक्रवर्ति-पद्म।
नौबा चक्रवति । (१) भगवान् मल्लिनाथके समयमें नौवें चक्रवर्ति पद्म उत्पन्न हुए थे । इनके पिताका नाम पद्मनाथ और माताका ऐगराणी था। इनका वंश इक्ष्वाकु था । और ये काशी देशकी वाराणसी नगरीके राना थे । चक्रवति पद्मने दिग्विनय कर छह खंड पृथ्वीको वश किया और चक्ररत्न आदि चौदहरत्न, निधि आदि चक्रवर्तिकी संपत्ति प्राप्त की । इनकी पृथ्वी सुंदरी आदि आठ पुत्रियां थीं जो सुकेत नामक विधाधरके पुत्रोंकी दी थीं। चक्रवर्ति पद्मश्री छनवे हज़ार रानियों के पति थे । एकदिन बाद. लोंको विखरते देख संसारसे उदाप्त हो दीक्षा लेनेको तैयार हुए । मंत्रीने आपको दीक्षा लेने से बहुत रोका। आपका मंत्री नास्तिक था वह परलोक आदि नहीं मानता था पर आपने नहीं माना और अपने पुत्रको राज्य दे सुकेत आदि बहुतसे रानाओंके साथ