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दुसरा भाग + छुड़ा लाऊंगा | रामने मंत्रियोंकी सम्मति से यह विचार निश्चित किया कि यदि इसकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे तो यह रावणका सहायक हो जायगा अतः पहिले इसे ही मारना उचित है और उसके दूतसे कहा कि तुम्हारे यहां जो महामेघ हाथी है वह हमें दो और हमारे साथ लंका चलने को तैयार होओ फिर तुम्हारे कथन पर विचार किया जायगा । वालि इस उत्तरसे बड़ा क्रुद्धः हुआ | अतः राम, लक्ष्मणके साथ उसका युद्ध हुआ और वह मारा गया । तत्र सुग्रीवको उसका राज्य दिया । सुग्रीव अपनी किष्किंधा नगरी में रामको लाया । और मनोहर नामक उद्यानमें ठहराया। यहां रामके पास १४ अक्षोहिणी सेना हो गई थी । लक्ष्मणने शिवघोष मुनिके मोक्षस्थल जगत्पाद पर्वत पर सात दिनका उपवास धारण कर पूजा की और प्रज्ञप्ति नामक विद्या सिद्ध की। सुग्रीवने भी अनेक व्रत उपवास कर सम्मेद पर्वतको सिद्धशिला पर विद्याओंकी पूजा की तथा अनेक विद्याधरोंने भी विद्याओंकी पूजा की और फिर सेना लंकाके लिये रवाना हुई । इधर रावणको कुंभकर्ण आदि भाइयोंने सीता देने को बहुत समझाया; पर वह नहीं माना । विभीषणने भी बहुत कुछ कहा पर वह बिल्कुल न माना और उसे अपने राजसे निकाल दिया । तब विभीषण रामसे आकर मिला । रामके यहां उसका बहुत आदर सत्कार हुआ। जब रामकी सेना समुद्र के किनारे पहुंची तब हनुमानने रामसे लंकामें उपद्रव आदि करनेकी आज्ञा मांगी। जब रामने साज्ञा दे दी तब अनेक विद्याधरोंके साथ हनुमान