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________________ दूसरा भाग। - लक्ष्मणको छोड़ नहीं सकते । यह वात सुन देवोंने राम, लक्ष्मणके स्नेहकी परीक्षा करनेकी ठानी। और मध्यलोकमें आकर रामचंद्रके यहां महलोंमें ऐसी कुछ माया फैलायी कि रानियां रोने लगीं । मंत्री शोकाकुल हो गये। फिर लक्ष्मणको संदेश भेजा कि रामचंद्रका देहांत हो गया। इतना कहते ही लक्ष्मण हाय कर गिर पड़े और प्राण पखेरू उड़ गये। अब वास्तवमें शोक छा गया । सारा कुदुम्ब रोने लगा। राजधानी शोकपूर्ण हो गई। राम भी सुनते ही लक्ष्मणके पास आये परन्तु उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि लक्ष्मणका देहांत हो गया । वे तो यही कहते थे कि बालक है । गुम्सा हो गया है । अतएव वे लक्ष्मण के साथ ऐसी बातें करने लगे जैसे कि कोई किसी रूटे हुएको मना रहा हो । विभीषण, विराधित, सुग्रीव जब जब समझाते और कहते कि लक्ष्मणका देहांत हो गया है तब २ रामचंद्र उन्हें कहते कि तुम्हारे कुटुंबियोंका देहान्त हो गया। इस तरह स्नेह में विह्वल हो गये थे। इधर रामचंद्रकी यह स्थिति देख शम्बूकके भाई सुंदरके पुत्रने रावणके नाती अर्थात् इन्द्रजीतके पुत्र वजमालीको उस्काया कि यह समय वैर निकालनेका ठीक है । बस, युद्धकी तैयारी कर अयोध्या पर चढ़ाई कर दी। जब रामसे कहा गया तब लक्ष्मणके शवको कन्धे पर रखकर तीर कमान हाथमें ले रामचंद्र युद्धको निकले । परन्तु स्वर्गसे दो देवोंने आकर सहायता की । अयोध्याका भयानक स्वरूप बनाकर और अगणित सेना मायामय दिखला कर शत्रुओंको भगा दिया। ये दोनों देव पूर्व जन्मके जटायु पक्षी और कृतान्तवक सेनापतिके जीव थे ।
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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