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दुसरा भाग।
पाठ . प्रतिनारायण मधुसूदन, और बलदेव सुप्रभ
नारायण पुरुषोतम । ( चौथे नारायण, प्रतिनारायण और बलभद्र)
(१) भगवान् अनंतनाथ स्वामीके तीर्थकालमें काशी नरेश मधुसूदन प्रतिनारायण हुआ और सुप्रभ बलदेव हुए व पुरुषोत्तम नारायण हुए।
___(२) बलदेवका नाम सुप्रम था और नारायणका नाम पुरुषोत्तम था ।
(३) द्वारिकाके राजा सोमप्रभकी महारानी जयावतिसे बलभद्र-सुप्रभ उत्पन्न हुए और महारानी सीतासे नारायण-पुरुषोत्तमका जन्म हुआ।
(४) नारायणकी आयु तीस लाख वर्षकी थी और शरीर पचास धनुष ऊंचा था।
__ (५) नारायण सात रत्नोंके और बलभद्र चार रत्नोंके स्वामी थे। प्रतिनारायणने चक्ररत्न सिद्ध किया था । इन तीनोंकी विशेष संपत्तिका वर्णन परिशिष्ट 'क' जानना चाहिये ।
(६) नारायणकी सोलह हजार और प्रतिनारायणकी आठ हजार रानियां थीं। .
, एक जगह उत्तरपुराणमें द्वारिकाके राजा और दूसरी जगह खड्ग पुरके राजा लिखा है ।
२ इसका नाम आगे चल कर उत्तरपुराणकारने ही सुदर्शना लिखा है।