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प्राचीन जैन इतिहास । ८
__ (७) प्रतिनारायण मधुसूदनने विजयाई पर्वतकी इस ओर (दक्षिणबाजू) तक राज्य प्राप्त किया था । और सब राजाओंको अपने वशमें किया था।
(८) मधुसूदनने जब नारायण पुरुषोत्तमसे कर व मेंट मांगी । तब वे देनेसे नामंजूर हुए । इस दोनोंका परस्पर युद्ध हुआ। मधुसूदनने नारायण पुरुषोत्तम पर चक्र चलाया पर यह चक्र नारायणकी प्रदक्षिणा देकर उनके हार्थोंमें गया तब पुरुषोत्तम नारायणने मधुसुदन पर चलाया, और जिससे उसकी मृत्यु हुई। वह मर कर सातवे नरक गया। उसके तीन खडके राज्यके अधि. कारी नारायण पुरुषोत्तम हुए ।
(९) नारायणने आयुपर्यंत राज्य किया। फिर मर कर नरक गये । इनके देहांतसे बड़े भाई सुप्रभने बहुत शोक किया । अंतमें सोमप्रभ जिनके समीप दिक्षा धारण कर मोक्ष गये ।
पाठ ५। भगवान् धर्मनाथ ।
(पंद्रहवें तीर्थंकर ) (१) चौदहवें तीर्थंकर भगवान् अनंतनाथ मोक्ष जानेके चार सागर बाद भगवान् धर्मनाथ ( पंद्रहवें तीर्थंकर) उत्पन्न हुए। आपके जन्मसे आघापल्य पहिलेसे धर्म मार्ग बंद था ।
(२) वैशाख शुक्ल त्रयोदशीको भगवान् धर्मनाथ रत्नपुरके राजा भानुकी रानी देवी सुप्रभाके गर्भ में आये । आप कुरुवंशी काश्यप गोत्रके थे। गर्भमें आनेके छह मास पूर्वसे जन्म होने