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प्राचीन जैन इतिहास। ६ पीपलके वृक्षके नीचे केवलज्ञान प्राप्त किया । देवोंने समवशरण सभाकी रचना की और ज्ञान कल्याणकका उत्सव किया । (११) भगवान्की सभामें इस भांति चतुर्विध संघ था ।
५० जय आदि गणधर १००० पूर्व ज्ञान धारी
३२०० वादी मुनि ३९५०० शिक्षक मुनि ४३०० अवधिज्ञानके धारी ५००० मनःपर्ययज्ञानी ५००० केवलज्ञानी ८००० विक्रियारिद्धिके धारी
६६०५० १०८००० श्रिया आदि आर्यिका २००००० श्रावक ५००००० श्राविकायें।
(१२) आयुमें एक मास बाकी रहने तक समस्त आर्यखंडमें आपने विहार किया । और धर्मोपदेश दिया।
(१३) विहार कर सम्मेद शिखर पर्वत पर पधारे । वहां पर दिव्य ध्वनिका होना बंद हुआ। तब एक मासमें शेष चार कर्मोका नाश कर मिती चैत्र वदी आमावस्याको छह हजार एकसो साधुओं सहित मोक्ष पधारे । तब इन्द्रादि देवोंने निर्वाण्ड, कल्याणकका उत्सव मनाया ।