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प्राचीन जैन इतिहास। १२९ नहीं समझा कि हमारे पिता भरतको राज्य दे गये हैं, इसलिये हम जो कुछ राज्य प्राप्त करेंगे वह सब भरतका है । परन्तु जब बहुत हठ किया गया और यह कहा गया कि आप ही नारायण बलभद्र हैं, आपका अभिषेक होना उचित है, तव स्वीकार किया । अभिषेकके अनन्तर लक्ष्मणने मार्गमें जिन २ कन्याओंके साथ विवाह किया था उन २ कन्याओंको लानेके लिये विराधितको भेना । और रामचन्द्रका भी चन्द्रवर्द्धन आदि कितने ही नृपतियोंकी कन्याओंके साथ विवाह हुआ । लङ्काका राज्य विभीषणको दिया गया।
पाठ. २९ रावणादिकी अंतिम गति । (१) रावण, मर कर नर्क गये।
(२) इन्द्रनीत और कुम्भकरण केवली होकर नर्मदा तटसे मोक्ष गये। . . (३) मेघनाद भी कैवल्य-ज्ञानको प्राप्त होकर मोक्ष सिधारे।
(४) जम्बूमालीका देहावसान तूर्णी पर्वत पर हुआ और वे अहमिन्द्र हुए।
(५) रावणका मन्त्री मारीच स्वर्ग गया।
(६) मन्दोदरीके पिता मय मुनिको सर्वोषधि ऋद्धिकी प्राप्ति हुई।