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________________ प्राचीन जैन इतिहास। ११७ समाचार कहे । सीताका चूड़ामणि रामको दिया । लङ्काके समाचारोंसे दुःखी और क्रोधित होकर राम लक्ष्मण युद्ध करनेके लिये लङ्काकी ओर चले। ___(३१) आपके साथ अनेक विद्याधर भी अपनी २ सेनाके साथ चले । सीताके भाई भामण्डलको भी बुलाया था, वह भी चला । रामकी सेनाका सेनापति भूतनाद नामक विद्याधर बनाया गया। रामकी ओर दो हजार अक्षौहिणी सेना थी। (३२) उस समय सेनाके नौ भेद होते थे। वे इस प्रकार हैं: १ पत्ति, २ सेना, ३ सेनामुख, ४ गुल्म, ५ वाहिनी, ६ प्रतना, ७ चमू , ८ अनीकिनी और ९ अक्षौहिणी । इन भेदोंकी संख्याका प्रमाण इस प्रकार है: १ पत्ति:-जिसमें एक रथ, एक हाथी, पाँच पियादे, और तीन घोड़े हों उसे 'पत्ति' कहते थे । २ सेना:-जिसमें तीन रथ, तीन हाथी, पन्द्रह पियादे, और नौ घोड़े हों, उसे 'सेना' कहते थे । ३ सेनामुखः-जिसमें नौ रथ, नौ हाथी, पैंतालीस पियादे और सत्ताईस घोड़े हों, उसे 'सेनामुख' कहते थे। ४ गुल्मः-सत्ताईस रथ, सत्ताईस हाथी, एक सौ पैंतीस पियादे और इक्यासी घोड़ेवाली सेना "गुल्म' कहलाती थी। ५ वाहिनी:-इक्यासी रथ, इक्यासी हाथी, चारसौ पाँच पियादे और दो सौ तिरतालीस अश्ववाली सेना 'वाहिनी' कहलाती थी।
SR No.022684
Book TitlePrachin Jain Itihas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurajmal Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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