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________________ (१३९) पूछा कि क्या देवी जीती हैं या नहीं ? सुमति ने उपयोग देकर कहा कि जीती हैं, राजा ने पूछा कि उनके साथ समागम कब होगा ? फिर उपयोग देकर सुमति ने कहा कि राजन ! जब आप स्वप्न में पुष्पमाला को देखेंगे उसके बाद मास दिन के अंदर समागम होगा, राजा ने पूछा कि गर्भ में क्या होगा ? सुमति ने कहा कि पुत्र होगा किंतु जन्म लेते ही माता के साथ उसका वियोग हो जाएगा, फिर जब राजा ने पूछा कि माता से वियुक्त होकर वह जीएगा या नहीं ? कहाँ बढ़ेगा? और कब समागम होगा ? सुमति ने कहा, वह पुत्र बहुत दिन जीएगा यह जानता हूँ किंतु वह कहाँ बढ़ेगा यह मैं नहीं निता । कुसुमाकर उद्यान में जब एक कन्या गिरेगी, उसके बाद वही आपको पुत्र के साथ समागम होगा । सुमति के वचन सुन , प्रसन्न होकर राजा ने सुमति को लाख सोना-मोहर दिलवाया और रानी के समागम की आशा से उनका चित्त स्वस्थ हो गया। सुमति भी चला गया । कुछ दिन के बाद एक रात राजा ने स्वप्न देखा कि उत्तर दिशा की ओर जाते हुए मैंने एक कूप में पड़ी अर्द्धम्लान सफेद फूलों की माला है ज्यों । उस माला को लिया वह माला सुगंधित हो गई, इस स्वप्न को देखते ही राजा जग गए और उन्होंने सोचा कि सुमति ने जैसा कहा था वैसा ही स्वप्न मैंने देखा है अतः उत्तर दिशा में जाने पर विषम अवस्था में पड़ी देवी अवश्य मिलेगी। यह सोचकर देश देखने के बहाने कुछ सेना के साथ राजा हस्तिनापुर से निकले, कितने दिन के बाद एक पर्वत के पास घने वृक्षोंवाले एक जंगल में सेना सहित डेरा डालने पर राजा की चामरधारिणी लंबी घास से ढके एक कूप में भूल से गिर गई। राजा ने रज्जु प्रयोग से निकालने के लिए आदेश दिया। इसके बाद एक
SR No.022679
Book TitleSursundari Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhanuchandravijay
PublisherYashendu Prakashan
Publication Year1970
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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