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________________ तिलकमञ्जरी में काव्य सौन्दर्य पात्रों के चारित्रगत सौन्दर्य की विवेचना के क्रम में सर्वप्रथम पुरुष पात्रों का वर्णन किया जा रहा है। 70 पुरुष पात्र सभी कथा काव्यों का अंतिम परिणाम फल की प्राप्ति होता है। फल की प्राप्ति अधिकारी अर्थात् नायक को होती है। कथा में नायक ही सम्पूर्ण क्रियाओं का केन्द्र होता है। हरिवाहन 'तिलकमञ्जरी' कथा का नायक है। अतः पुरुष पात्रों में सर्वप्रथम हरिवाहन का विवेचन युक्तियुक्त एवं तर्कसंगत है। हरिवाहन : कवियों ने सदैव अपने नायकों को सर्वगुणसम्पन्न प्रदर्शित किया है, जिससे उसे लोगों के समक्ष आदर्श रूप में प्रदर्शित किया जा सके। धनपाल ने भी हरिवाहन को उन सभी गुणों से युक्त किया है जो एक आदर्श नायक में होने चाहिए । ' हरिवाहन धीरोदात्त कोटि का नायक है। यह मेघवाहन का इकलौता पुत्र हैं, जिसे उसने दीर्घ साधना के पश्चात् देवी लक्ष्मी से वर रूप में प्राप्त किया है। एक ओर यह देवी लक्ष्मी के वरदान से उत्पन्न हुआ है तथा दूसरी ओर यह पूर्व जन्म में ज्वनलप्रभ नामक दिव्य वैमानिक था अतः वर्तमान जन्म में इसमें सभी स्पृहणीय गुणों का वास होना स्वाभाविक ही है। आकर्षक व्यक्तित्व : हरिवाहन एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी है। वह अत्यन्त सुन्दर व सजीला है। जो इसे एक बार देख ले तो उसे देखता ही रह जाता है। इसके शारीरिक सौष्ठव व सौन्दर्य के विषय में क्या कहा जाए ? तिलकमञ्जरी जिसे जन्म से ही पुरुषों से विद्वेष था वह भी इलाइची लता मण्डप में हरिवाहन को देखकर, अपना पुरुष विद्वेषी स्वभाव छोड़कर अपना हृदय उसे दे 3. 4. अधिकारः फलस्वाम्यमधिकारी च तत्प्रभुः । द.रू., 1/12 नेता विनीतो मुधरस्त्यागी दक्षः प्रियंवदः । रक्तलोकः शुचिर्वाग्मी रूढ़वंश स्थिरो युवा ।। बुद्धयुत्साहस्मृतिप्रज्ञाकलामानसमन्वितः । शूरो दृढ़श्च तेजस्वी शास्त्रचक्षुश्च धार्मिकः ।। वही, 2/1,2
SR No.022664
Book TitleTilakmanjari Me Kavya Saundarya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Garg
PublisherBharatiya Vidya Prakashan2017
Publication Year2004
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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