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तिलकमञ्जरी के पात्रों का चारित्रिक सौन्दर्य
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राजकुमारी तिलकमञ्जरी, विद्याधरराज विचित्रवीर्य, विद्याधर चक्रवर्ती सम्राट चक्रसेन, पत्रलेखा, चित्रलेखा, मृगाङ्कलेखा, गन्धर्वदत्ता चित्रमाय, गन्धर्वक, अनङ्गरति, वैमानिक, ज्वलनप्रभ आदि।
इन पात्रों में से कुछ पात्रों की अलौकिक शक्तियों को प्रकट भी किया गया हैं। जैसे चित्रमाय रूप बदलने में कुशल है। यही उन्मत्त हाथी का रूप धारण करके हरिवाहन का अपहरण करता है। दिव्य पुरुष ज्वलनप्रभ मेघवाहन को हार प्रदान कर तत्क्षण अदृश्य हो जाते हैं। सभी विद्याधर आकाश में विचरण करने की विद्या जानते है। महावीर जिन के अभिषेकोत्सव के लिए सभी विद्याधर आकाशमार्ग से आते है। अदिव्य पात्र आदिव्य पात्र वे पात्र हैं, जिनका जन्म इस पृथ्वी पर हुआ है और जो मानवोचित गुणों तथा शक्तियों से युक्त हैं। मेघवाहन, हरिवाहन, मदिरावती, मलयसुन्दरी, बन्धुसुन्दरी, समरकेतु, कमलगुप्त, तारक, वज्रायुध, विजयवेग आदि आदिव्य पात्र
मेघवाहन जैसे सम्राट् समरकेतु व वज्रायुध जैसे योद्धा, जो अपने बाहुबल से सम्पूर्ण पृथ्वी को विजय करने की सामर्थ्य रखते हैं। तारक जैसे वीर, जो समुद्र पर भी विजय पाने का साहस रखते है, उन्हें दिव्य शक्तियों से क्या प्रयोजन। दिव्यादिव्य पात्र जिस पात्र में दिव्य और मानवीय दोनों प्रकार के गुणों का समावेश हो, उसे दिव्यादिव्य पात्र कहा जाता है। हरिवाहन, समरकेतु तथा मलयसुन्दरी दिव्यादिव्य पात्रों की श्रेणी में आते है। हरिवाहन पूर्व जन्म में ज्वलनप्रभ नामक दिव्य वैमानिक था। समरकेतु और मलयसुन्दरी भी पूर्वजन्म में सुमाली और स्वयंप्रभा नामक देव विशेष थे। ये पूर्वजन्म में देवलोक वासी होने के कारण दिव्य गुणों से तथा वर्तमान जन्म में मर्त्यलोक में जन्म लेने के कारण मानवीय गुणों से युक्त हैं। दिव्य एवं मानवीय गुणों के संगम के कारण इन्हें दिव्यादिव्य पात्रों की श्रेणी में रखा जा सकता है।
1. 2.
ति. म., पृ. 387 वही, पृ. 153