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________________ 62 तिलकमञ्जरी का कथासार उत्तर दिया कि कल अभिषेक के लिए जिनायतन से आपके राजधानी की ओर प्रस्थान करने पर जब देवी तिलकमञ्जरी अपने भवन में चली गई, तब उनकी सहचरी मृगाङ्कलेखा ने राजमहिषी पत्रलेखा के पास जाकर आपके और समरकेतु के आगमन का समाचार सुना दिया। यह सुनकर पास में बैठी देवी लक्ष्मी ने चित्रलेखा को कहा कि शीघ्रता से मलयसुन्दरी को एकशृंग पर्वत से ले आओ। चित्रलेखा ने वैसा ही किया और इस विषय में विचित्रवीर्य को भी सूचित कर दिया। यह सुनकर हरिवाहन ने समरकेतु को विद्याधरों के साथ सुवेल पर्वत की ओर भेज दिया। एक बार हरिवाहन चक्रसेन से मिलने गए और उनके अनुरोध करने पर वे कुछ दिन वहीं रुक गए। तदनन्तर शुभ दिन व मुहूर्त देखकर चक्रसेन ने तिलकमञ्जरी का विवाह हरिवाहन से कर दिया। कुछ दिन वहाँ ठहरकर हरिवाहन तिलकमञ्जरी के साथ अपनी राजधानी वापस आ गए। कुछ दिनों के पश्चात् हरिवाहन ने समरकेतु को बुलाकर अपना आधा राज्य उसे सौंप दिया। राजा मेघवाहन ने भी समरकेतु, कमलगुप्त व सभी राजाओं को बुलाकर शुभ दिन में हरिवाहन को सारा राज्य सौंप दिया और परलोक साधनोन्मुख हो गया। हरिवाहन भी एक छत्र शासन करते हुए जीवनानन्द का उपभोग करने लगे। तिलकमञ्जरी के टीकाकार तिलकमञ्जरी अपने समय में ही सहृदयों के मध्य लोकप्रिय हो गई थी। इसी से प्रभावित होकर अनेक विद्वानों ने इस पर टीकाओं की रचना की। अद्यावधि तिलकमञ्जरी पर चार टीकाएँ प्रकाश में आई हैं - (क) शान्तिसूरि विरचित टिप्पनक, (ख) विजयलावण्यसूरि द्वारा रचित पराग टीका, (ग) पण्यास पद्मसागर द्वारा रचित वृत्ति तथा (घ) अज्ञात आचार्य विरचित ताड़पत्रीय टिप्पणी।' (क) शान्तिसूरि : श्री शान्तिसूरि का समय 12वी शताब्दी का पूर्वार्द्ध हैं। जैन शासन काल में अनेक शान्तिसूरि हुए हैं। परन्तु जिन शान्तिसूरि आचार्य ने तिलकमञ्जरी पर टिप्पनक रचना की, वे पूर्णतल्लगच्छ से सम्बन्धित थे।" शान्तिसूरि,श्री वर्धमान सूरि के शिष्य थे। आचार्य शान्तिसूरि ने तिलकमञ्जरी पर 9. 10. तिलकमञ्जरी, (सं) एन. एम. कन्सारा, भूमिका, पृ. 25 (क) तिलकमञ्जरी, विजयलावण्यसूरीश्वरज्ञानमन्दिर, बोटाद, भाग-1, भूमिका, पृ. 17 (ख) वही, पृ. 29
SR No.022664
Book TitleTilakmanjari Me Kavya Saundarya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Garg
PublisherBharatiya Vidya Prakashan2017
Publication Year2004
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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