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तिलकमञ्जरी में वक्रोक्ति
धनपाल ने मदिरावती के सहज सौन्दर्य का ऐसा रमणीय और सजीव वर्णन किया है, जिससे सहृदय को उसके स्वाभाविक सौन्दर्य का बोध सहजता से हो जाता है।
धनपाल ने अनेक स्थलों पर प्राकृतिक सौन्दर्य का भी रमणीय वर्णन किया है। राजकुमार हरिवाहन अपने मित्रों के साथ भ्रमण करते हुए सरयू नदी के तट पर जाते हैं। वहाँ की प्राकृतिक शोभा को देखिए -
अविरलफलितजलजम्बूनिकुरुम्बमुद्गतस्तोककुसुमस्तबककेतकीस्तम्ब मुच्चोच्चरच्चीत्कारमुखराणां प्रेङ्खतामनवरतमुद्धाटकानां घूर्णमानैर्नभसि नभस्वदाघट्ट नजर्जरैलतुषारजालकैन्डीकृतनिदाघकर्कशार्क करवितानमापानकमृदङ्गरवजनित शृङ्गारैर्नगरीजनैर्विन शखण्डिभिश्च युगपदारबधताण्डवैर्मण्डितलतामण्डपमदूरवहदगाधनीरं सरय्वास्तीरपरिसरमुपासरत्। पृ. 105-106
सरयू नदी तट जल सम्पर्क से फलने वाले अत्यन्त घने जामुनों से युक्त वृक्ष समूहों, खिलते हुए छोटे-छोटे पुष्पगुच्छों से युक्त केतकी लता समुहों से सुशोभित था, वहाँ पर फव्वार चल रहे थे, जो ग्रीष्मकालीन वायु को शीतल कर रहे थे। लतामण्डपों में सुरापान गोष्ठियां चल रही थी, जिनमें मृदङ्गजनित स्वरों से आनन्दित जनपदवासी व वन मयूरों का युगपत् आरम्भ किया गया नृत्य नदी तट के वातावरण को और अधिक मनोरम बना रहा था। ___ यहाँ सरयू नदी के किनारे के प्राकृतिक दृश्यों का रमणीय वर्णन किया गया है। नदी तट पर लगे हुए पेड़-पौधे तथा पुष्प युक्त लताओं से रमणीय उद्यानों में सामान्य जन ही नहीं, विशिष्टजन भी भ्रमण व मनोरंजन के लिए जाते हैं। आज भी लोग जीवन के नित्य क्लेशों व सामान्य दिनचर्या से ऊबकर सप्ताहान्त में मनोरंजन के लिए नदी किनारे पर विकसित उद्यानों आदि में जाते हैं।
धनपाल ने अदृष्टपार सरोवर का भी अतिसुन्दर चित्रण किया है -
महाभोगपरिसरमविरतास्फालिततरङ्गततिना तरलितबालपुष्पकरेण प्रबलसीकरासारसिक्तककुभा वनद्विरदयूथेनेव सद्यः जलादुत्तीर्णेन मरुता दरत एव सूच्यमानं निरन्तराभिस्तरुणकुन्तलीकुन्तलकलापकान्तिभिर्ध्वान्तमालाभिरिव रसातलोल्लासिताभिरुल्लसन्मयूरकेकारवमुखराभिः शिखरदेशविश्रान्तमन्तः सारसाभिरिभकलभकरावकृष्टिविघटमानविटपाभिश्चटुलवानरवाह्यमानलता