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________________ तिलकमञ्जरी में काव्य सौन्दर्य उपर्युक्त उदाहरण में वेताल आलम्बन विभाव है तथा उसकी चेष्टाएँ उद्दीपन विभाव हैं। धनपाल ने वेताल का चित्रण इस कुशलता से किया है कि सहृदय का हृदय भय से काँपने लगता है। वज्रायुध और काञ्चीनरेश कुसुमशेखर की सेनाओं मध्य युद्ध में भी भयानक रस अभिव्यञ्जित होता है · 132 सतारकावर्ष इव वेतालदृष्टिभिः, सोल्कापात इव निशितप्रासवृष्टिभिः, सनिर्घातपात इव गदाप्रहारे:, ससंवर्तकाम्बुददुर्दिन इव करिशीकरासारै:, सोत्पातरविमण्डल इव कीलालितकरालचक्रमुक्तिभिः सवैद्युतः सूर्य इव जवापतज्ज्वलितशक्तिभिः, सखण्डपरशुताण्डव इव प्रचण्डानिलधूवजसहस्रैः, सकालाग्निघूम इव प्रकुपितसुभटभ्रकुटीतमिश्रौरजायत । पृ. 87 " समरकेतु राजकुमार हरिवाहन को खोजने के लिए वैताढ्य पर्वत की अटवी में जाता है। इस दुर्गम अटवी का वर्णन अत्यधिक भयोत्पादक है । साहस रहित व्यक्ति तो इस अटवी में प्रवेश नहीं कर सकता, साहसी व्यक्ति को भी अनेक बार सोचना पड़ता है। इस अटवी में अनेक भयङ्कर पशुओं व ऐसी जातियों का निवास है जो पुरुषों की बली देते हैं क्षपावसाने च क्षपितनिद्रः श्वापदारावैरुत्थाय शयनागृहीतशस्त्रस्तमेव मार्गमतिदुर्गमनुसरन् रसातलगम्भीरभीमगह्वरया समरभूम्येव साहसरहितजदुष्प्रवेश्या ... प्रतिचुल्ली . पच्यमानशूलीकृतानेकश्वापदपिशिताभिः प्रतिनिकुञ्जमाकर्ण्यमानबन्दीजनाक्रन्दाभिः प्रतिवसति विभज्यमानतस्कराहृतस्वापतेयाभिः प्रतिजलाशयमासीनबडिशहस्तकैवर्ताभिः प्रतिदिवसमन्विष्यमाणचण्डिकोपहार पुरुषाभिः धृताधिज्यधनुषा निभृत्यमुच्चारितचण्डिकास्तोत्रदण्डेन सर्वतः प्रहितभयतरलदृष्टिना त्रयीभक्तेनेव गाढाञ्चितहिरण्यगर्भकेशवेशन देशिकजनेन लघुतरोल्लङ्घ्यमानपरिसराभिः क्वचिदकुण्ठकण्ठीरवारावचकितसारङ्गलोचनांशुशारया प्रतिडिम्भमुपदिश्यमानमृगमोहकारिकरुणगीताभिः - क्वचित्तरुतलासीनशबरीविरच्यमानकरिकुम्भमुक्ताभिः शबलगुञ्जाफलप्रालंम्बया, क्वचिदधः सुप्तदृप्ताजगरनिःश्वासनर्तितमहातरुस्तम्बया क्वचिदुदश्रुकणिकस्वागणिकशोच्यमानाकालदलितनिस्यन्दसारमेयवृन्दया, क्वचित्प्रचारनिर्गतवनेचरान्वितष्यमाणपुलमूलकन्दया, क्वचिच्चर्मलुब्धकानुबध्यमानमार्गणप्रहतमर्मद्वीपिमार्गया, सापराधवध्वेव प्रियालपनसफलीभूतपादतनिष्ठया,
SR No.022664
Book TitleTilakmanjari Me Kavya Saundarya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Garg
PublisherBharatiya Vidya Prakashan2017
Publication Year2004
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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