________________
तिलकमञ्जरी में रस
115
कि वह कन्या तिलकमञ्जरी ही थी । यह निश्चय होते ही वह उसकी खोज में जाता है, परन्तु वह उसे नहीं मिलती। वह रात हरिवाहन वहीं पर अशोक वृक्ष के नीचे तिलकमञ्जरी के विषय में ही सोचते हुए बिताता है । यह विरह विप्रलम्भ शृङ्गार है क्योंकि हरिवाहन अब अपनी प्रियतमा के दर्शन कर चुका है -
तत्र च प्रथमदर्शनेऽपि सेयं चक्रसेनतनेयति यन्न निर्णीता व्रीडया साध्वसेन वा नेयमुत्तरं प्रयच्छतीति मन्यमानेन यन्न वारंवारमाभाषिता, विहाय रक्ताशोकविटपकं निकटदेशे कृतस्थिरावस्थाना यन्न करतलेनावलम्बिता, मुहुर्मुहुर्मुखावलोकनेन याचमाना निर्गमनवर्त्म यद्द्वारदेशादीषदपसृते नानुवर्तिता, स्पर्शशङ्काविवर्तिताङ्गलता विनिर्यती बहिर्यत्प्रसारितोभयभुजेन गाढंन परिरब्धा, लब्धसुरभिश्वासपरिमलने सविधमागतेऽपि वदनस्य परिणतबिम्बपाटलेऽधरमणौ यन्न परिचुम्बिता, गत्वा किञ्चिदनन्तरं विवर्तितमुखी मुहुर्मुहुर्लताजालकान्तरेण स्थित्वा - स्थित्वा तिर्यगवलोकयन्ती निर्भरानुरागापि भीतेति यत् संभविता मुग्धता, निराकृतोचित्तक्रियाप्रवृत्तिश्च निरनुरोधेति ज्ञातावज्ञेन यद् व्रजन्ती पृष्ठतो नानुसृता, तेनानेकजन्मान्तरसहस्रनिर्वर्तितेन महापातकसमुहेनेवात्यन्तमन्तरनुतप्यमानस्य, संतापवेदनाविनोदाय विहितैर्वारंवारमसमञ्जसैर्गात्रपरिवर्तनैर्व्यस्तशयनीयस्य निमीलितेक्षणस्य तां सर्वतो द्विक्षु पश्यतः चक्रवाकस्येवैकाकिनः सरस्तीरे निषण्णस्य, कुमुदखण्डस्येव क्वणद्भिरलिकुलैराकुलीकृतस्य इन्दुना शमितनिद्रस्य मम दर्शनादुदीर्णदुःसहोद्वेगेव दूरानतविपाण्डुशशिमण्डलानना श्रयमगाद् रजनी । पृ. 252-53
...
तिलकमञ्जरी के चित्रदर्शन मात्र से ही हरिवाहन अपने हृदय पर नियन्त्रण खो बैठा था और फिर एलालता मण्डप में तिलकमञ्जरी के साक्षात् दर्शन ने हरिवाहन को पुनः व्याकुल कर दिया। परन्तु अब यह प्रेम एकतरफा नहीं रह गया। हरिवाहन को देखकर तिलमञ्जरी के हृदय में भी कामदेव प्रवेश कर गया । एलालता मण्डप में हरिवाहन से अचानक हुई उस भेंट से वह कुछ हड़बड़ा जाती है और हरिवाहन के प्रश्नों का भी कोई उत्तर नहीं देती है तथा वहाँ से चली जाती है परन्तु जा हुए वह कनखियों से अनुरागपूर्ण दृष्टि से बार-बार हरिवाहन को निहारती है। एलालता मण्डप से निकल कर वह तमाल वृक्षों के झुण्ड के नीचे जाकर रुक जाती है और वहाँ लता जाल के मध्य से एलालता मण्डप की ओर बार-बार उद्विग्न होकर देखती है। यहीं पर वह हरिवाहन के प्रेम-पाश में बंध