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________________ तिलकमञ्जरी में काव्य सौन्दर्य लेते हैं और अच्छी सामरिक नीति बनाकर बहुत दिनों तक वायुध से लोहा लेते हैं। इस बीच युद्ध में सहायतार्थ मित्र राजाओं के पास दूत भेजते है।" यह प्रजावत्सल है। अपनी प्रजा की रक्षा के लिए वज्रायुध से सन्धि करने के लिए, अपनी पुत्री मलयसुन्दरी का विवाह उसके साथ करने के लिए तैयार हो जाते है। ___ यह अति बुद्धिमान भी हैं। जब इन्हें यह ज्ञात होता हैं कि मलयसुन्दरी इनके मित्र सिहंलेश्वर चन्द्रकेतु के पुत्र समरकेतु से प्रेम करती है और उसे ही अपने पति रूप में वरण करने का निश्चय कर चुकी है। तब अपनी पुत्री पर अगाध स्नेह के कारण अत्यधिक चतुरता से यह योजना बनाते हैं कि मलयसुन्दरी को प्रशान्तवैर नामक तपस्वी के आश्रम में भेज दिया जाए और प्रजा में यह प्रकाशित कर दिया जए कि स्मरायतन में जागरण के कारण अकस्मात् उठी तीव्र शूलवेदना से मलयसुन्दरी ने प्राण त्याग दिए। इससे जहाँ एक ओर प्रजा में जनापवाद रक्षा करेगा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष भी रुष्ट नहीं होगा। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि कुसुमशेखर बुद्धिमान, नीतिनिपुण और योग्य राजा है। तारक यह स्वर्णद्वीप के मणिपुर नगर के वैश्रवण नामक पोत-वणिक् (नौका द्वारा व्यापार करने वाला) का पुत्र है। इसकी माता का नाम वसुदत्ता है। शिक्षाध्ययन के पश्चात् यह भी अपने पैतृक व्यवसाय में संलग्न हो जाता है। यह व्यापार के लिए रंगशाला नगरी में जाता है और वहाँ नाविकों के सरदार जलकेतु की पुत्री प्रियदर्शना से इसका प्रेम हो जाता है। उसके प्रगाढ़ स्नेह में यह व्यापार छोड़कर नाविक बन जाता है। 72. ति.म., पृ. 82 73. वही; पृ. 298 74. प्रजासु च 'आयुष्मति स्मरायतनजागरणसमुत्थया झटित्येव तीव्रया शूलव्यथया विसंस्थुलीकृतशरीरा संस्थिता' इति प्रकाशयते। अत्र हि कृते जनापवादः परिरक्षितः, विपक्षश्च न विरूक्षितो भवति। वही, पृ. 328 75. वही; पृ. 127 76. वही; पृ. 127
SR No.022664
Book TitleTilakmanjari Me Kavya Saundarya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Garg
PublisherBharatiya Vidya Prakashan2017
Publication Year2004
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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