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________________ तिलकमञ्जरी के पात्रों का चारित्रिक सौन्दर्य यह हरिवाहन को भी अपने ज्येष्ठ भ्राता के समान सम्मान देता है। इसका नैतिक चरित्र उच्च कोटि का है। जब बन्धुसुन्दरी वज्रायुद्ध के डर से मलयसुन्दरी को रात्रि में ही अपने देश में ले जाने को कहती है तो यह इस अनैतिक कार्य को यह कहकर करने से मना कर देता है कि इस अनुचित कार्य को करने से अपयश होगा।" शकुनों पर विश्वास : यह शकुनों पर विश्वास करता है। हरिवाहन का अन्वेषण करते समय, जब यह अदृश्यपार सरोवर के तटवर्ती माधवी लता मण्डप में विश्राम करते हुए स्वप्न में पारिजात वृक्ष को देखता है, तब यह शीघ्र ही मित्र संगम को निश्चित मानता है। दक्षिण नेत्र तथा भुजा के फड़कने से इसे अपने कार्य में सफलता प्राप्त होने का विश्वास होता है।'' धार्मिक : यह ईशोपासक भी है। द्वीपान्तर-विजय यात्रा पर निकलने से पहले यह अपने इष्टदेव की अराधना करता है। समुद्र में यात्रा करने से पहले यह समुद्र की भी पूजा करता है। हरिवाहन की खोज करते हुए अदृष्टपार सरोवर के समीप स्थित जिनेन्द्र आयतन में ऋषभदेव को अत्यधिक श्रद्धा के साथ स्तुति करता है। यह सभी देवों के प्रति श्रद्धा व भक्ति का भाव रखता है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि समरकेतु वीर, धीर और स्वामिभक्त युवक है। मित्रता के लिए तो यह एक आदर्श प्रस्तुत करता है। 41. सूक्तवादिनी मुक्तवादिनी युक्तमभिहितम्। किंतु दुष्करमिदं मादृशानाम्। अहं हि वारंवारमभ्यर्थितेन प्रतिपद्य मित्रतां शत्रुगृहीतस्य राज्ञतावकस्य सहाय्यकाय पित्रा समादिष्ट। ...... यदा तु छलेन रात्रावुपेत्य प्राणभूतामस्य दुहितरमपहरामि, तदा तदपकारकृत्येषु नित्यमेव निषष्णबुद्धवज्रायुधस्य मम च न व्यतिरिच्यते किंचित्। किं च हृत्वा गत इमामनवनिर्दोषगीतचरितस्य तस्यापि पितुरात्मीयस्य दर्शयिष्यामि कथमात्मानम्।- ति. म., पृ. 326 42. निद्रया मुदितनयनयुगल स्वप्ने रसातलात्तत्कालमेवोद्गतम्.... ईषत्प्रौढिमायातं ___ पारिजातद्रुममद्राक्षीत्। दर्शनानुपदमेव च प्रबुद्धः प्रवृद्धविभवेन सख्या सह समागमप्राप्तिमचिरभाविनीं निरचैषीत्। वही, पृ. 207-208 43. वही, पृ. 210 44. वही, पृ. 123 45. वही, पृ. 218
SR No.022664
Book TitleTilakmanjari Me Kavya Saundarya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Garg
PublisherBharatiya Vidya Prakashan2017
Publication Year2004
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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