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________________ 64 तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन (248) दिये गये हैं । ब्रह्मा के च र मुखों का वर्णन प्राप्त होता है ।1 अतः इन्हें चतुर्मुख कहा गया है । देवी सरस्वती को ब्रह्मा के मुख में स्थित कहा गया है । मन्दार मन्दार पर्वत के द्वारा समुद्र का मन्थन किया गया था (पृ. 76)। मथन से थकित होकर मन्दार का क्रोधित होना (पृ. 214), तथा सुरों एवम् असुरों के द्वारा निर्दयतापूर्वक आलोडन से मन्दार पर्वत का थकना (पृ. 221) वर्णित किया गया है। मन्दोदरी यह रावण की पत्नी थी। (पृ 135)। मैनाक यह हिमालय का पुत्र है (पृ. 5, 8)। इन्द्र द्वारा पर्वतों के पंख काटने पर यह समुद्र में जाकर छिप गया था (पृ. 5, 8) । इसके समुद्र में निवास का उल्लेख किया गया है (पृ. 100)। मैनाक अन्य सभी पर्वतों के मध्य अकेला पक्ष सहित था (पृ. 102)। इसके समुद्र में छिप जाने पर दुःखी हिमालय के द्वारा इसके अन्वेषण का उल्लेख प्राप्त होता है । मारीच मारीच द्वारा स्वर्णमग का रूप धारण करने की कथा का संकेत मिलता है (पृ. 135)। मारूति हनुमान के द्वारा समुद्र के लंघन का उल्लेख हुआ है (पृ. 201)। हनुमान के द्वारा रावण के पुत्र अक्ष का वध करने की दुर्लभ तथा अप्रसिद्ध कथा का उल्लेख हुआ है । तुम्बरू यह स्वर्ग का गायक एक गन्धर्व है (पृ 42)। त्रिजटा त्रिजटा नामक राक्षसी के राम के विरह से व्याकुल सीता के प्रति सखी भाव का उल्लेख किया गया है (पृ. 135)। 1. तिलकमंजरी, पृ. 312 2. वही, पृ. 1,5 3. (क) मैनाकवियोगदुः खरूदितहिमाचला जलमिव-वही, पृ. 203 (ख) मैनाकमन्वेष्टुमन्तः प्रविष्टहिमवतेव... -वही, पृ. 8 .4 मारूतिना भुजबलेन भग्नोऽक्षः, -तिलकमंजरी, पृ. 135
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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