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________________ धनपाल का पाण्डित्य 65 त्रिशंकु . . . . . . . त्रिशंकु के स्वर्ग एवम् पृथ्वी के मध्य आकाश में अधोमुख होकर अधर में लटक जाने की प्रसिद्ध कथा का संकेत दिया गया है (पृ. 23) । त्रिशंकु राजाके द्वारा वशिष्ठ पुत्रों के श्राप से चाण्डाल बन जाने की कथा का संकेत भी प्राप्त होता है । धन्वन्तरि .. यह स्वर्ग का वैद्य कहा जाता है (पृ. 55, पृ. 159)। इसके समुद्र से उत्पन्न होने का उल्लेख मिलता है । नल . . . निषध के राजा नल की कथा प्रसिद्ध है। राजा नल का उल्लेख पृ. 13 पर किया गया है। नल राम की वानरसेना के सेनापति नल नामक वानर का उल्लेख प्राप्त होता है।' यम यह मृत्यु का देवता है। इसे कृतान्त कहा गया है। यम का वाहन महिष है (पृ. 237)। इसे प्राण चुराने वाला चोर कहा गया है (पृ. 410)। संसार का अन्त करने के कारण इसे कृतान्त (52,346,410) तथा अन्तक (185), प्रेतनाथ (318) कहा गया है। इसके अपरनाम धर्मराज (पृ. 24) वैवस्वत (120) कीनाश (293,406) है । यम को यमुना के भ्राता के रूप में वर्णित किया गया है (पृ. 93,120,293)। यमराज को कृष्णवर्ण का बताया 1. रामायण, 1, 50-61 2, वही 3. (क) त्रिशंकोरिव प्रनष्टास्पृश्यसंनिधिपरिहारवासनः..."तिलकमंजरी, पृ. 134 : (ख). त्रिशंकुसंपर्कजाशीचशोधनाय" -वही, पृ. 23 4. दिव्योषधिरिव मथनोत्थितस्य धन्वन्तरेविस्मृताः, -तिलकमंजरी, पृ. 159 5. महाभारत, आरण्यकपर्व 6. नलपृथुप्रभोऽप्यनलपृथुप्रभः, .. -अवाहा तिलकमंजरी, पृ. 13 7. ""सेनापतेर्नलस्य... -वही, पृ. 137 8. : (क) आजिविपन्न""यमदर्शनागतया यमुनयेव... ' वही, पृ. 93 . (ख) वैवस्वतानुजादेहलावण्येन लिप्ताभिः... -वही, पृ. 120 (ग) कीनाशानुजाजलस्रोतसीव.. . -वही, पृ 293.
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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