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________________ धनपाल का पाण्डित्य 63 का विनाश किया गया था। इस कथा का उल्लेख तिलकमंजरी में मिलता है।। परशुराम द्वारा अपने बाणों से क्रोंच पर्वत के छेदन की कथा का उल्लेख भी किया गया है (पृ. 8)। पार्वती पार्वती हिमालय की पुत्री थी, अतः उसे अचलकन्या (पृ 22) शैलराजदुहिता (पृ. 74) कहा गया है । गणेश इनके पुत्र थे (पृ. 74)। ये शिव की पत्नी है (पृ. 17)। पाराशर पाराशर द्वारा धीवरकन्या मत्स्यगन्धा से गान्धर्व विवाह की कथा का उल्लेख प्राप्त होता है । राजा पृथु के आदेश से सुमेरु पर्वत ने गो रूपी पृथ्वी से रत्नादि का दोहन किया था। इस कथा का संकेत प्राप्त होता है । बलि बलि के दान की कीर्ति सर्वत्र फैल गयी थी (पृ. 203)। विष्णु ने अपने पैर से इसे पाताललोक में भेज दिया था (पृ. 2, 242)। बलराम ___ ये कृष्ण के अनुज हैं (पृ. 52) । हल धारण करने से इनका नाम लांगली पड़ा (पृ. 16) । बलराम ने अपने हल से यमुना की धारा को वृन्दावन में खींच लिया था। इस कथा का संकेत दिया गया है । ब्रह्मा __ ब्रह्मा की विष्णु के नाभिकमल से उत्पति की कथा का उल्लेख किया गया है । अतः इन्हें पुरुषोत्तमनाभिसुत (1) तथा कमलयोनि (24) कहा गया है । अन्य नाम स्वयंम्भू (6), प्रजापति (6, 12), ब्रह्मा (24), विधि (24, 299, 176, 243, 313), वेधस (36, 78), हिरण्यगर्भ (200, 206), विधाता 1. दुविनीतज्ञत्रियनरेन्द्रनिहतस्य जनयितुर्जामदग्यमुनिखि"" तिलकमंजरी, पृ. 51 2. महाभारत, 1, 63 भागवतपुराण 1, 3 3. योजनगन्धामिव पाराशरः"." -तिलकमंजरी, पृ. 129 पृथुपार्थिवोपदेशात्सुमेरूमुख्यः.." वही, पृ. 277 वामनपुराण 5, 8-11 लांगलीव कालिन्दीजलवेणिकाः""सुदूरमाचकर्ष । तिलकमंजरी, पृ. 17 __ वही, पृ. 1, 241, 206
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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