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________________ तिलकमंजरी का साहित्यक अध्ययन 193 (23) शफर-मत्स्य विशेष 120, 126,156, । नयनविक्षेपों की उपमा शफर मत्स्य से दी जाती। तिलकमंजरी के नयन युगलों को शफर द्वन्द्व की उपमा दी गयी है। (24) शिशुमार-जलीयजन्तुविशे 145 । वनस्पति-वर्ग तिलकमंजरी से बनस्पति-विज्ञान सम्बन्धी प्रभूत सामग्री उपलब्ध होती है। तिलकमंजरी वह क्रीड़ोद्यान है, जिसमें कहीं पुष्प मुस्करा रहे हैं, कहीं फल अपना रस बिखेर रहे हैं, तो कहीं लताएं अपनी जम्भाइयां ले रही हैं, कहीं औषधियां जगमगा रही हैं, तो कहीं कलम की सौरभ वायु को सुरभित कर रही है । अपने इस प्रकृति प्रेम के कारण ही धनपाल ने अपनी नायिका का नाम भी तिलकमंजरी (तिलक नामक पुष्प-वृक्ष की मंजरी) रखा है तथा नायिका के नाम के आधार पर ही ग्रन्थ का नाम रखा गया है । तिलकमंजरी में कुल मिलाकर 132 प्रकार की वनस्पतियों का उल्लेख आया है, जिनमें 88 वृक्षों के नाम हैं, 43 पुष्प वृक्ष हैं, 17 फल वृक्ष एवं 28 प्रकार के अन्य वृक्ष हैं । बृक्षों के अतिरिक्त 22 प्रकार की लताओं का वर्णन है। 22 प्रकार की वनस्पतियों, जिनमें धान्य अनेक प्रकार के तृण तथा औषधियों आदि के नाम हैं । इन सबका आगे क्रमशः विस्तार स वर्णन किया जा रहा है । . .. वृक्ष : पुरुष-वृक्ष 1. अंकोल्ल-नीहार के समान धवल पुष्प नीहारधवलाकोल्लपूलिपटलसंपादितदिगङ्गानांयुके 297 । 2. अक्ष-विभीतक वृक्ष (24,212) । भूतपादप (200) इसे भूतपादप भी कहते हैं अमरकोश-2,4,58 । (3) अलक-2471 (4) अगस्त्य-370 यह श्वेत-रक्त वर्ण का पुष्प है, जो आकृति में टेढ़ा होता है। (5) प्रशोक-125,135,159,165,166,250,297,301,305,305 1. आयतस्फारघवलोदरशोभिशफरद्वन्द्वामिव, -तिलकमंजरी, प्र.247. 2. अग्रवाल. वासुदेवशरण; कादम्बरी-एक सांस्कृतिक अध्ययन पृ. 233
SR No.022662
Book TitleTilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpa Gupta
PublisherPublication Scheme
Publication Year1988
Total Pages266
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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