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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
5. कुर्म – 15 122, 139 मकठ - 121, 145, 222
6. गोरखर - गिलहरी 200 |
7. ग्राह: - घड़ियाल जलजन्तुविशेष 139, 146 1
8. जलरङ्क – जलीयमृग विशेष 183, 210, 425 1
9. जलवारण - 121, 138 | करियादस - 130 |
10. जलौक - जौंक 239 । गन्दे रूधिर को चूस कर निकालने के लिए जलौक का प्रयोग किया जाता था । 2
11. तिमि – 15, 122, 204, 238 शतयोजन बृहदाकार मत्स्य विशेष ।
मानदण्ड के समान कहा
12. तिमिङ्गिल - 139, 145 1 इसे सागर के गया है ।
(13) दर्दुर- मेंढ़क 180, 234, मेक 117 | प्लवक - 140, 180,
234 I
( 14 ) दन्दशूक - जलसर्पविशेष 146, 376
(15) दुन्दुभ - जलसर्प विशेष 130 ।
(16) नकुल-2
(17) मुजङ्ग – 58,215, 283 | पन्नग - 52, 122 भुजंग - 48 । श्रहि : 2, 86, 88,205 | सर्प- 2, 47, 48, 122, 145, । उरग - 6, 57, 85 126, 1 विषधर - 41, 48 । श्राशीविष – 41, 25, 58, 192 | द्विजिहवः 2। पृदाकु - 284 मोगी - 320 |
8, 116, 126, 130, 138, 145, 204 256,
(18) 276, 303, I
( 19 ) मत्स्य - 116, विसारी - 89, 122, 146, । मीन - 203, 259,
283 1
( 20 ) सरीसृप - गिरगिट 47 |
( 21 ) सिंहमकर - जलीयजन्तु विशेष 145 |
( 22 ) शकुल - मत्स्य विशेष 146, 210
1. दुष्टरक्तापकर्षरणार्थमायोजित जलौकं...
2. विदारितगिरिकन्दराकारतुण्डो मानदण्ड इव सागरस्य,
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वही, पृ. 239
वही पृ. 145