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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
में कुण्डल, कर्णाभरण तथा कर्णपूर, गले के आभूषणों में हार, निष्क, एकावली, प्रालम्ब, मौक्तिककलाप एवं कण्डिका, भुजा के आभूषणों में अंगद तथा केयूर, कलाई के आभूषणों में कंकण, वलय और कटक, अंगुलियों के आभूषणों में उमिका और अंगुलीयक, कटि के आभूषणों में कांची, मेखला, रसना, एवं सारसन तथा पैरों के आभूषणों में नूपुर, हंसक, मंजीर तथा चरणोमिका के नाम आए हैं। इस प्रकार कुल सत्ताइस प्रकार के आभूषणों का वर्णन तिलकमंजरी में मिलता है । शिरोभूषण
__ सिर के अलंकारों में मौलि, किरीट, चूड़ारत्न, मुकुट तथा सीमन्तक का उल्लेख है। मौलि
समस्त द्वीपों के राजाओं की मौलिमाला का उल्लेख किया गया है। अन्यत्र भी मौलि का उल्लेख है। एक स्थान पर मौलि मुकुट का उल्लेख किया गया है। दिव्यातन को मृत्युलोक रूपी नरेन्द्र का मौलिमुकुट कहा गया है। किरीट
एक प्रसंग में स्वर्ण-निर्मित किरीट, जिसमें मणियों का जड़ाव किया गया था, का उल्लेख है।
चूहारत्न
ज्वलनप्रभ ने चूड़ारत्न धारण किया था, जो शिरोमाला के मधुकरों के प्रतिबिम्ब से चितकबरे रंग का जान पड़ता था। अन्यत्र चूडामणि शब्द भी प्रयुक्त हुआ है।
महादण्डनायकों ने मणियों के मुकुट धारण किये थे। युद्ध में आग में
1. खल्वशेषद्वीपावनीकालमौलिमाला......-तिलकमंजरी, पृ. 194 2. वही, पृ. 267, 279, 249 3. मौलिमुकुटमिव मर्त्यलोकभूपालस्य, -तिलकमंजरी, पृ. 216 4. उन्मयूखमाणिक्यखण्डखचितकांचनकिरीटभास्वरशिरोभिः... वही, पृ. 225 5. चूड़ारत्नेन....... कलितोत्तमांगम्,
-वही, पृ. :7 6. वही, पृ. 81, 216 7. वही' पृ. 70