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________________ तीर्थङ्कर नेमिनाथ विषयक साहित्य ७५ प्रमुख शिष्य थे । ब्रह्म जयसागर ने अपने पद्य में रत्नकीर्ति को स्मरण किया है। १०७. नेमि राजुल संवाद' (कल्याणकीति) प्रस्तुत कृति नेमिनाथ एवं राजुल के संवाद रूप में लिखित हिन्दी की एक प्रसिद्ध रचना रचयिता : रचनाकाल इस संवाद के रचयिता कल्याणकीर्ति हैं । ये १७ वीं शताब्दी के प्रमुख जैन संत सतदेव कीर्तिमुनि के शिष्य थे। १०८. नेमिनाथनी गीत (पं० श्रीपाल) यह गुजराती एवं राजस्थानी भाषा के प्रभाव वाली एक हिन्दी रचना है । रचयिता : रचनाकाल इस गीत के रचयिता श्रीपाल हैं । सं० १७४८ (सन् १६९१ ई०) की एक प्रशस्ति में पं० श्रीपाल के परिवार के परिचय में कहा गया है कि श्रीपाल के पितामह का नाम बणायग एवं पिता का नाम जीवराज था । १०९, नेमिगीत (सुमतिसागर) इस गीत में राजुल नेमि के अभाव में अपने आपको कैसा समझती है, इसी का वर्णन रचयिता : रचनाकाल इसके रचयिता सुमतिसागर हैं । ये भट्टारक अभयनन्दि के शिष्य थे । अपने गुरु के ही साथ रहते थे। ११०. शिवा नेमि संवाद (सटवा) यह २० कडवकों का गीत हैं जिसमें नेमिनाथ के वैराग्य प्रसंग का वर्णन है । रचयिता : रचनाकाल इस संवाद के रचयिता सटवा हैं जिनका समय सन् १७१८ है।" १११. नेमीश्वर गीत (नीवा) इस गीत में ३ कड़वक हैं जिनमें नेमिनाथ के वैराग्य प्रसंग का वर्णन है । १. सूरि रत्लकीर्ति जयकारी, शुभधर्म शशि गुणधारी । नर नारी चूनड़ी गावे, ब्रह्मसागर कहे भावे ।। चूनड़ी गीत १६ (भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र - व्यक्तित्व.एवं कृतित्व से उद्धृत) २. भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र - व्यक्तित्व एवं कृतित्व, पृ० -१६ ३. वही, पृ-१४ ४. वही, पृ० - ९० ५. वही, पृ०-८८ ६. वही, पृ० -१०२ ७. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग -७, पृ० - २२२
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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