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________________ ७४ १०२. नेमीश्वर गीत (हर्ष कीर्ति) इस रचना में नेमिनाथ का वर्णन है । १०३. नेमिनाथ बारहमासा ( हर्ष कीर्ति) श्रीमद्वाग्भटविरचितं नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन इस बारहमासा में नेमिनाथ का सुन्दर चित्रण हुआ है । रचयिता : रचनाकाल इन तीनों रचनाओं के रचयिता हर्षकीर्ति थे । ये १७ वीं शताब्दी के चतुर्थ पाद के कवि थे । ये राजस्थानी सन्त, तथा भट्टारकों से प्रभावित थे । 1 १०४. नेमि राजुल प्रकरण ( रनकीर्ति) यह गीतरूप रचना है, जिसमें नेमि राजुल प्रकरण ही प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया गया है । इन गीतों की आत्मा में नेमि राजुल उसी प्रकार हैं, जिस प्रकार मीरा के कृष्ण रहे हैं । रचना महत्त्वपूर्ण है । रचयिता : रचनाकाल इस प्रकरण के रचयिता भट्टारक रत्नकीर्ति हैं जो अपने समय के प्रमुख सन्त थे । उनका पूर्णतः वैरागी जीवन था । इनके गीत १७ वीं शती में बहुत लोकप्रिय रहे और समस्त देश में गाये जाते थे । इसके अतिरिक्त कवि की अन्य रचनायें भी उपलब्ध हैं जो इस प्रकार हैंनेमजी दयालु डरे तू तो यादव कुल सिणधारे । नेमिनाथ विनती । ७ नेम हम कैसे चले गिरनार । नेमि तुम जावो धारिय धरे ।६ नेमिनाथ फागु नेमिनाथ बारहमासा ।” १०५. चुनड़ी गीत ( ब्रह्म जयसागर ) इसका दूसरा नाम चारित्र चुनड़ी भी दिया गया है । जिसमें राजीमती नेमिनाथ से चारित्र चूड़ी ओढ़ने के लिए मांग रही है । नेमि गिरनार के भूषण है । चूनड़ी में १६ पद्य हैं ।" १०६. नेमीश्वर गीत " ( ब्रह्म जयसागर ) 1 यह भी एक लघुकाय रचना है । रचयिता : रचनाकाल चूनड़ी गीत एवं नेमीश्वरगीत के रचयिता ब्रह्म जयसागर थे जो भट्टारक रत्नकीर्ति के १. भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कृतित्व पृ० - १३ २. वही, पृ० ५३ ३. वही, पृ० ५३ ५. वही, पृ० ५१ ६. वही, पृ० ५० ९. वही, पृ० ५० ८. वही, पृ० ५० ११. वही, पृ० - ६८ ४. वही, पृ० - ५० ७. वही, पृ० ५१ १०. वही, पृ० ९६
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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