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________________ ७६ श्रीमद्वाग्भटविरचित नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन रचयिता : रचनाकाल इस गीत के रचयिता का नाम नीबा है जिनका समय सन् १७२६ ई० का सिद्ध होता ११२. नेमीश्वर रास (मलूकपुत्र भाऊ) __ प्रस्तुत रास में कुल ११५ चौपाई छन्दों में नेमि के वैराग्य, राजुल के संयम और नेमिनाथ के निर्वाण का मार्मिक निरूपण हुआ है । इसकी प्रतियाँ गुटका नं० ६५ पटौदी का मन्दिर जयपुर तथा गुटका नं० २३२ भट्टारकीय दिगम्बर जैन मन्दिर अजमेर में संग्रहीत है । रचयिता : रचनाकाल इसके रचयिता मलूकपुत्र भाऊ हैं जो १८ वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के ख्यात कवि रहे हैं। ११३. नेमिराजुल बारहमासा (जिनहष) नेमि राजुल बारहमासा जिसे नेमिराजीमती बारहमासा सवैया भी कहा गया है । काव्य में कुल १२ सवैया छन्द हैं और इसकी प्रतियाँ अभय जैन ग्रन्थालय बीकानेर तथा शास्त्र भण्डार महावीर जी में उपलब्ध हैं। रचयिता : रचनाकाल ___ इस बारहमासा के रचयिता का नाम जिनहर्ष है । इसकी रचना वि० सं० १७१५ (सन् १६५८ ई०) में की थी । जिनहर्ष कवि ने ही नेमीश्वर गीत (वेष्टन १२४५ बधीचन्द्र जी का मन्दिर, जयपुर) एवं नेमिराजुल स्तवन गुटका नं० ९७ ठोलियों का मन्दिर जयपुर की रचना की थी। ११४. नेमीश्वर गीत (ब्रह्म० धर्मसागर) नेमीश्वर गीत में कुल १२ छन्द हैं जिनमें राजुल के सौन्दर्य और विरह का सुन्दर निरूपण हुआ है । यह गीत डा० कासलीवाल द्वारा सम्पादित पुस्तक “भट्टारक रत्नकीर्ति एवं कुमुदचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कृतित्व" में दिया गया है । रचयिता : रचनाकाल इस गीत के रचयिता ब्रह्म धर्मसागर हैं जो अठारहवीं शती के पूर्वार्द्ध के संत और कवि थे। ये भट्टारक अभयचन्द्र द्वितीय के संघ में थे । कवि ने इसके अतिरिक्त भी स्फुट गीत लिखकर नेमिप्रभु के प्रति अनन्य भक्ति का प्रदर्शन किया है।' १. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग -७, पृ० - २२२ २. द्रष्टव्य - डा० इन्दुराय जैन द्वारा लिखित "नेमिशीर्षक हिन्दी साहित्य लेख, अनेकान्त अक्तूबर-दिसम्बर १९८६, पृ० -१२ ३. वही, पृ० -१२ ४. वही, पृ० -१३
SR No.022661
Book TitleNemi Nirvanam Ek Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAniruddhakumar Sharma
PublisherSanmati Prakashan
Publication Year1998
Total Pages252
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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